क्यों झगड़ रहे हैं महाराणा प्रताप के वंशज, जमकर हो रही पत्थरबाजी
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क्यों झगड़ रहे हैं महाराणा प्रताप के वंशज, जमकर हो रही पत्थरबाजी

Udaipur City Palace: महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच जंग चल रही है, जो राजगद्दी को लेकर हो रही है, जिसमें दो भाई गद्दी पर अपना-अपना दावा कर रहे हैं. ऐसे में जानिए आखिर गद्दी की लड़ाई का कारण क्या है.  

Udaipur city palace

Udaipur City Palace: राजस्थान के उदयपुर मेवाड़ राजवंश के राजा के तौर पर विश्वराज सिंह मेवाड़ का राज तिलक सोमवार को किया गया और फिर विश्वराज सिंह के छोटे चाचा अरविंद सिंह और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह ने इसे गैरकानूनी कहा. इसके बाद दोनों के बीच जंग छिड़ गई और लड़ाई सड़को पर उतर आई. 

इस विवाद को जानने के लिए इतिहास के बारे में जानना होगा. मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ किला मेवाड़ राजवंश का मुख्य ठिकाना है. इस किले को लेकर मुगलों और महाराणा प्रताप के बीच लड़ाई हुई थी. वहीं, आज इसी किले के लिए दो भाई लड़ रहे हैं, जो विश्वराज सिंह और लक्ष्य राज सिंह है. 

विश्वराज सिंह के पिता का नाम महेंद्र सिंह और लक्ष्यराज सिंह के पिता का नाम अरविंद सिंह है. महेंद्र सिंह अरविंद सिंह के बड़े भाई थे, जिनके पिता भगवत सिंह थे. ये आखिरी महाराणा थे. 

वहीं, आजादी के बाद राजशाही खत्म कर दी गई, तो राजघराने की परंपरा की आगे बढ़ाने के लिए भगवत सिंह ने एक ट्रस्ट बनाया, जिसका नाम महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन है, जो मेवाड़ राजघराना चलाने लगा. 

भगवत सिंह ने  इस ट्रस्ट की जिम्मेदारी अपने छोटे बेटे अरविंद सिंह को दे दी और बड़े बेटे महेंद्र सिंह को इस ट्रस्ट से दूर रखा गया. इसको लेकर दोनों भाइयों में लड़ाई हुई. ऐसे में अरविंद सिंह ट्रस्ट चलाते हैं, तो लक्ष्यराज सिंह पर इस ट्रस्ट की जिम्मेदारी आ गई. इसके जरिए ही राजघराने का संचालन किया जा रहा है. इसी के चलते अरविंद सिंह का दावा है कि उनका बेटा लक्ष्यराज सिंह ही मेवाड़ राजवंश की गद्दी का असली राजा है. 

 
इधर, महेंद्र सिंह भगवत सिंह के बड़े बेटे थे. ऐसे में वो अपने आप को मेवाड़ राजवंश की गद्दी का असली हकदार बताते हैं. वहीं, अब उनके बेटे विश्वराज सिंह ने भी खुद को महाराणा घोषित कर दिया है. 

इसी के चलते राजघरानों से समर्थन के बाद 25 नवंबर को विश्वराज सिंह ने खुद को महाराणा घोषित किया और अपना राजतिलक किया, जिसमें सारी परंपराएं निभाई गई. बता दें कि इसी साल 10 नवंबर को महेंद्र सिंह का निधन हुआ था. इसी के चलते लक्ष्यराज सिंह और उनके पिता अरविंद सिंह गुस्सा हैं और उन्होंने इसे अवैध बताया है. 
 

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