Good news: राजस्थान में गहलोत सरकार ने बजट में उष्ट्र योजना के तहत ऊंटपालकों को बड़ी सौगात दी है. इससे जैसलमेर के 50 हजार ऊंटपालकों की उम्मीदों पंख लगे हैं. तीन साल पहले बंद योजना फिर से शुरू होने से ऊंट पालन के प्रति पशुपालकों का रुझान बढ़ेगा.
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Good news: राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में उष्ट्र विकास योजना शुरू की थी. लेकिन वर्ष 2019 में योजना बंद हो गई. तीन साल लंबे इंतजार के बाद गहलोत सरकार ने बजट में उष्ट्र संरक्षण योजना की घोषणा की है. इस योजना के तहत 3 किश्तों में 10 हजार रुपए की राशि ऊंटपालकों को मिलेगी. इसके लिए ई-मित्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा.
ऊटनी के बच्चे के जन्म पर मिलेंगे पैसे
टोडिया के जन्म से लेकर 2 माह का होने पर नजदीकी पशु चिकित्सक से भौतिक सत्यापन किया जाएगा. इसके बाद ऊंटपालक के खाते में 5 हजार रुपए व टोडिए एक साल का होने पर दूसरा भौतिक सत्यापन किया जाएगा.
इसके बाद ऊंटपालक के खाते में 5 हजार रुपए आएंगे. इस बीच अगर टोडिये की मौत हो जाती है, तो उसे किसी भी प्रकार का कोई लाभ नहीं मिलेगा, इसके साथ ही एक ऊंटनी के दूसरा टोडिया होने पर भी लाभ मिलेगा. लेकिन ऊंटनी के रजिस्ट्रेशन को 15 माह पूरे होने चाहिए.
2016 में शुरू, 2019 में बंद हो गई योजना, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया ऑनलाइन होगी
राजस्थान सरकार द्वारा राज्य पशु ऊंटों की संख्या और प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए 2016 में उष्ट्र विकास योजना शुरू की गई थी. इस योजना के तहत ऊंट पालकों को ऊंट पालन के लिए 10 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाती थी.
योजना पर चार साल में करीब 3.13 करोड़ रुपए खर्च होने थे. टोडिया के पैदा होने पर तीन हजार, नौ महीने का होने पर तीन हजार और फिर 18 माह की उम्र होने पर चार हजार रुपए देय होते थे, इस योजना को 2016 में शुरू करने के बाद 2019 में बंद कर दिया गया. सरकार द्वारा इस योजना के तहत दो किश्तों में 10 हजार रुपए की राशि दी जाएगी.
ऊंटपालकों को टोडियों के जन्म पर ई-मित्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा. टोडियों के जन्म से दो माह की आयु पूरी होने तक ऑनलाइन आवेदन किया जाना अनिवार्य है. वर्तमान में 1 नवंबर 2022 अथवा इसके बाद जन्में टोडियों पर भी योजनांतर्गत लाभ देय है, इस छूट के लाभ के लिए ऊंटपालक को अपना ऑनलाइन आवेदन 28 फरवरी तक अनिवार्य रूप से किया जाना है.
जन्म के बाद दूसरी किश्त टोडिये के एक साल पूरे होने पर मिलेगी. लेकिन उससे पहले भी भौतिक सत्यापन होगा. इस दौरान ऊंटनी एवं टोडियों की टैगिंग करवाना अनिवार्य है.
जैसाण के 4 गांवों में 5000 ऊंट
देश भर में सबसे ज्यादा ऊंट राजस्थान में पाएं जाते हैं, इसके साथ ही राजस्थान में ऊंटों की सर्वाधिक संख्या जैसलमेर में है. जैसलमेर के देगराय ओरण के सिर्फ 4 गांवों की बात करें तो जैसलमेर के सांवता, रासला, अचला व भोपा गांवों में 5 हजार से ज्यादा ऊंट है. ऐसे में यह योजना बंद होने से सर्वाधिक नुकसान जैसलमेर के ऊंटपालकों को हो रहा था. लेकिन अब योजना फिर से शुरू होने पर ऊंटपालकों ने राहत की सांस ली है.
ऊंट पालन सबसे बड़ी चुनौती
जिले में 50 हजार ऊंट है. पहले ऊंट आवागमन के लिए उपयोग में लिए जाते थे. लेकिन अब आवागमन के साधन होने से ऊंटों की उपयोगिता बेहद कम हो गई है. इसके साथ ही सरकार ने भी उष्ट्र विकास योजना बंद कर दी थी. इसके साथ ही पिछले कुछ समय से पर्यटन सीजन पिटने के कारण ऊंट से रेगिस्तान पर सफर व ऊंटनी के दूध से बने प्रोडक्ट भी बनने बंद हो गए हैं.