राजस्थान में सर्दी पड़ते ही प्रवासी पंछियों का आना शुरू हो जाता है . इसी को देखते हुए 1000 मील साइबेरिया और अन्य विदेशी देशों से उड़कर प्रवासी पक्षी बार हेडेड गूस उड़कर लाठी क्षेत्र के देगराय तालाब में अठखेलियां करते हुए नजर आएं.
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Lathi, pokran, jaisalmer news: मुल्कों के बीच इंसान की खींची सरहद की दीवार की परवाह पंछी नहीं करते है. प्रवासी पक्षी एक दिन में लगभग 1000 मील से अधिक की दूरी तय करते हुए सरहदी जिले जैसलमेर पहुंचने लगे हैं. इन परिंदों की कोई सरहद नहीं होती. जहां की आबोहवा इन्हें रास आ गई. यह अपना डेरा वही जमा लेते हैं. ऐसे ही मीलों दूर से सफर तय करते हुए लाठी क्षेत्र के देगराय तालाब में साइबेरियाई राजहंसों ने डेरा जमाया है. इनकी अठखेलियां पक्षी प्रेमियों के मन को खुश कर रही हैं.
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सर्दियों के महीनों के दौरान साइबेरिया,मध्य एशिया,चीन, पूर्वी यूरोप के पक्षियों के लिए पक्षी और वन्यजीव बाहुल्य लाठी क्षेत्र रहने की जगह बन जाती है. दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई तक उड़ान भरने के लिए पहचाने जाने वाले राजहंस यानी सरपट्टी सवन (बार हेडड गीज) साइबेरिया से उड़ान भरते हुए लाठी क्षेत्र के देगराय तालाब पर पहुंचने लगे हैं. इस पक्षी की देगराय ओरण में बर्डवाचिंग की जा रही है. देगराय के स्थानीय पक्षी प्रेमी सुमेरसिंह भाटी ने बुधवार को देगराय तालाब में अठखेलियां करते हुए देखा गया. यह पहला अवसर है, जब ‘बार हेडेड गूज’देगराय तालाब पर आराम करने और भोजन की तलाश में उतरे और वहां अठखेलियां करते हुए नजर आएं.
तिब्बत,रूस,मंगोलिया से होकर जैसलमेर पहुंच रहे
पक्षी प्रेमी सुमेरसिंह भाटी के मुताबिक ‘बार हेडेड गूज’ दलदली क्षेत्रों, खेती के आसपास वाली जगहों, पानी व घास के नजदीक, झीलों, जोहड़ों व पानी के टैंकों के आसपास में देखे जा सकते हैं. ये समूह में रहते हैं. ये रिकॉर्ड 29 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरकर तिब्बत, कजाकिस्तान, रूस, मंगोलिया से जैसलमेर में पहुंचते हैं.
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एक दिन में 1600 किमी की उड़ान
ये पक्षी एक दिन में 1600 किमी की उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं. सिर व गर्दन पर काले निशान के साथ इनका रंग पीला ग्रे होता है. सिर पर दो काली सलाखों के आधार पर सफेद पंख होते हैं. पैर मजबूत और नारंगी रंग के होते हैं. इनकी लंबाई 68 से 78 सेमी, पंखों का फैलाव 140 से 160 सेमी, वजन दो से तीन किलोग्राम होता है.
मई के अंत में इनका प्रजनन शुरू होगा
मई के अंत में इनका प्रजनन शुरू होता है. ये अपना घोंसला खेत के टीले या पेड़ पर बनाते हैं. ये एक बार में 3 से 8 अंडे देती हैं. 27 से 30 दिनों में अंडे से बच्चे बाहर निकलते हैं. दो महीने के बच्चे उड़ान भरने लगते हैं. अब इन पक्षियों की वापसी की बारी है.