Jalore: दूल्हे के पिता ने लौटाई टीका रस्म की 11 लाख रुपये की राशि, कहा- हम बेटी की बोली नहीं लगा सकते
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Jalore: दूल्हे के पिता ने लौटाई टीका रस्म की 11 लाख रुपये की राशि, कहा- हम बेटी की बोली नहीं लगा सकते

जालोर जिले के निवासी जितेन्द्रसिंह द्वारा टीके की रस्म के तौर पर दिये जा रहे ग्यारह लाख रुपये लौटाकर अनूठा उदाहरण पेश किया है. जालोर के पुलिस सेवा से सेवानिवृत  हेड कॉन्स्टेबल ने रुपये  लौटाते हुए कहा कि हमें तो सुशील बेटी चाहिए.

ग्यारह लाख रुपये लौटाकर अनूठा उदाहरण पेश किया.

Good News Jalore: राजस्थान में पुलिस सेवा से सेवानिवृत हेड कॉन्स्टेबल ने समाज में आज एक मिसाल कायम कर दिया है. यह शादी इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. वहीं यह सोशल मीडिया में भी छायी हुई है. जालौर के सेवानिवृत हेड कॉन्स्टेबल ने दहेज प्रथा के खिलाफ अपनी बुलंद आवाज उठाई है. ऐसा ही एक और उदाहरण सामने आया है जालौर से. जहां जालोर जिले के निवासी जितेन्द्रसिंह द्वारा टीके की रस्म के तौर पर दिये जा रहे ग्यारह लाख रुपये लौटाकर अनूठा उदाहरण पेश किया है.

दरअसल राजपूत समाज में शादी के दौरान टीका के तहत वधु पक्ष की ओर से वर पक्ष को राशि दी जाती है. इसके बाद हस्त मिलाप की रस्म पूर्ण होती है. जालोर के पुलिस सेवा से सेवानिवृत हैड कॉनिस्टेबल चंदनसिंह बालावत निवासी बिशनगढ हाल राजलक्ष्मी नगर जालोर में शुक्रवार रात्रि को उनकी पुत्री दिव्यांशी राठौड़ की शादी सम्पन्न हुई. 

उस दौरान बरात जोधपुर जिले के बैरू निवासी दौलतसिंह भाटी पुत्र स्व. रामसिंह भाटी के यहां से जालोर पहुंची. शादी में वधु पक्ष द्वारा बारातियों का स्वागत किया गया तथा शादी समारोह की बैठक में वधु पक्ष की ओर से वर को टीका के रूप में उपहार और राशि दी जाती है. लेकिन शुक्रवार रात्रि को टीका की रस्म के दौरान वर जितेन्द्रसिंह भाटी को वधु के पिता चंदनसिंह द्वारा टीका की राशि ग्यारह लाख रूपये देने पर वर जितेन्द्रसिंह भाटी ने टीके की राशि लेने से इंकार कर दिया. केवल मात्र ग्यारह रूपये सगुन के रूप में प्राप्त किये तथा वर और वधु ने शुभ मुहूर्त में फेरे लिये. 

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वर जितेन्द्रसिंह द्वारा टीका राशि नहीं लेने पर लोगों ने वर की प्रशंसा करते हुए सराहनीय कदम बताया तथा समाज में एक अच्छा संदेश दिया. वर जितेन्द्रसिंह भाटी के स्वयं जोधपुर में ज्वैलर्स की दुकान है तथा उनके पिता दौलतसिंह भाटी सेवानिवृत सैन्य कर्मी होने के साथ वर्तमान में बैंक में केशियर के पद पर कार्यरत है. वर के पिता दौलतसिंह ने बताया कि बेटा और बेटी दोनों एक समान है. टीका राशि से हम बेटी की बोली नहीं लगा सकते हैं. 

वर्तमान आधुनिक युग में हमे पुरानी सोच से उपर उठकर इसी रीति रिवाज का समाप्त करना चाहिए. एक बाप के ऊपर टीक के रूप में बोझ देना गलत है. वहीं वधु के पिता चंदनसिंह ने बताया कि टीका राशि नहीं लेने से समाज में एक अच्छा संदेश गया. ऐसे समधी किस्मत वालों को मिलते है. वहीं हमारे समधी ने कहा कि हमें तो सुशील बेटी चाहिए.

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