मानवता शर्मसार: प्रसूता को खाट पर सुलाकर आधा किमी तक पैदल ले जाना पड़ा ढाणी
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मानवता शर्मसार: प्रसूता को खाट पर सुलाकर आधा किमी तक पैदल ले जाना पड़ा ढाणी

 राज्य सरकार भले ही आमजन की ज्वलंत समस्याओं के समाधान में जन सुनवाई व विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर समस्याओं के निदान करने का दम भर रही है, मगर हकीकत में धरातल पर देखें तो आज भी स्थानीय प्रशासन उदासीन है.

मानवता शर्मसार

Bhinmal: राज्य सरकार भले ही आमजन की ज्वलंत समस्याओं के समाधान में जन सुनवाई व विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर समस्याओं के निदान करने का दम भर रही है, मगर हकीकत में धरातल पर देखें तो आज भी स्थानीय प्रशासन उदासीन है.

ऐसा ही एक मामला शुक्रवार को राउता में सामने आया है. यहां पीड़ित के खेत में जाने का रास्ता बंद करने से अपनी डिलीवरी पेशेंट पुत्री व नवजात शिशु को ढाणी तक ले जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. पीड़ित व परिजनों ने उसे सड़क से खाट पर सुलाकर आधा किमी पैदल खेतों में होकर ले जाने की कवायद करनी पड़ी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार उपखंड मुख्यालय से महज 12 किमी दूर राउता निवासी सांवलाराम पुत्र जीवाराम प्रजापत व उसके भाइयों के सामलाती खातेदारी होने से खेत में कई दशकों से ढाणी में निवासरत है.

पड़ोसी खातेदार निबाराम पुत्र लखमाराम कलबी ने अपने खेत में होकर गुजरते इन परिवारों को यह कहते रास्ता बंद कर लिया की यहा कोई मार्ग रिकॉर्ड में नहीं है. इन परिस्थितियों में सांवलाराम व उसके परिवार को खेत में से बाहर निकलने या कोई घरेलू सामान लाने में दिक्कत होने से जीना दुश्वार सा बन गया. थक-हार कर गांव के मौजिज लोगों के सामने अपनी परेशानी रखने पर उसके सामलाती खातेदारी खेत खसरा नंबर-350 व 365 का राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज मार्ग की बजाय अन्यत्र खेतों में चलने का रास्ता दिलाया मगर वो भी बिजली लाइन खिंचने की बात को लेकर बंद कर दिया गया. ऐसे में सांवलाराम व उसके भाइयों की हालत कांटो तो खून नहीं वाली सी हो गई है.

आर्थिक स्थिति कमजोर होने से थक हार कर प्रशासन गांवों के संग राउता में आयोजित शिविर में 29 अक्टूबर 2021 को बंद किए मार्ग को खुलवाने की प्रभारी से लिखित में फरियाद की मगर आज तक पटवारी से लेकर तहसीलदार तक कोई सुनवाई नहीं कर उल्टे चक्कर लगाने को मजबूर कर रहे हैं.

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आधा किमी पैदल ले जाना पड़ा नवजात व प्रसुता को
पीड़ित सांवलाराम की पुत्री शोभाग की शादी सांचौर के रामपुरा में की हुई है, जो पहली बार गर्भवती होने से पिहर राउता लाई थी. जिसके कल गुरुवार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन पैदल ही दो किमी दूर राउता उप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए. जहां एएनएम ने सामान्य डिलीवरी करवाई और प्रसुता ने एक कन्या को जन्म दिया. मगर जब शुक्रवार को घर ले जाने की बारी आई तो माता-पिता इस चिंता में डूबे की वाहन में बैठाकर उसे ढाणी तक ले जाए तो कैसे. क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते रिकॉर्ड में दर्ज रास्ता पड़ोसी खातेदार ने बंद कर रखा है, जिसे आज तक नहीं खुलवाया गया है.

जब स्वास्थ्य केंद्र से जच्चा-बच्चा को डिस्चार्ज किया तो पिता सांवलाराम ने उसे एक निजी वाहन से मुख्य राउता वाटेरा सड़क पर ले आया पर खेत में जाने का कोई रास्ता नहीं. पैदल ही ढाणी से खटिया व घर की महिलाओं को लेकर प्रसुता के पास पहुंचा और वाहन से उतार नवजात शिशु व पुत्री को सुलाया. उसके बाद परिवार की महिलाओं व राहगीरों ने खाट को उठाए उबड़-खाबड़ खेत व बबूलों की बाड़ में छेद कर करीब आधा किमी दूर ढाणी ले गए. मानवता को सरमसार करती इस हकीकत के बाद अब देखना यह है कि सरकार व प्रशासन इस पीड़ित परिवार के आवाजाही के लिए रास्ता खुलवाकर राहत देती है या महज आश्वासन भरा.

बच्चों की पढ़ाई भी बंद
रास्ते की अड़चन में सांवलाराम ने आरोप लगाया है कि उसकी पुत्री संतोष व किरण गत 10 माह से स्कूल नहीं जा पा रहे है जिससे उनकी पढ़ाई नही हो रही है।

ग्राम पंचायत दे रही है आवास पूर्ण का नोटिस
पीड़ित ने बताया कि उसके पीएम आवास स्वीकृत होने से आधा अधुरा निर्माण कार्य किया हुआ है. मगर भवन निर्माण की सामग्री लाने के लिए मार्ग नहीं है और ऊपर से ग्राम पंचायत आवास पूर्ण करने के लिए नोटिस दे रही है, ऐसे जाए तो जाए कहां.

Reporter- Dungar Singh

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