शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ का प्रदर्शन, उप प्रधानाचार्य के पद पदोन्नति से भरने की मांग
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शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ का प्रदर्शन, उप प्रधानाचार्य के पद पदोन्नति से भरने की मांग

 राजस्थान शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ रेसला ने उप प्रधानाचार्य पद पर व्याख्याता कैडर से शत प्रतिशत पदोन्नति करने के लिए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया.रेसला के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष प्रमेंद्र कुल्हार ने बताया कि गत वर्ष सरकार ने 50 वर्षों बाद शिक्षा विभाग के

शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ का प्रदर्शन, उप प्रधानाचार्य के पद पदोन्नति से भरने की मांग

 

झुंझुनूं: राजस्थान शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ रेसला ने उप प्रधानाचार्य पद पर व्याख्याता कैडर से शत प्रतिशत पदोन्नति करने के लिए मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया.रेसला के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष प्रमेंद्र कुल्हार ने बताया कि गत वर्ष सरकार ने 50 वर्षों बाद शिक्षा विभाग के नियमों में संशोधन कर 28 अप्रेल 2022 की अधिसूचना के द्वारा हैडमास्टर और व्याख्याता वर्ग के बीच वर्षों से चले आ रहे पदोन्नति विवाद को समाप्त कर उप प्रधानाचार्य पद पर व्याख्याता कैडर से 100 प्रतिशत पदोन्नति की जानी थी, लेकिन गत दिनों निदेशालय माध्यमिक शिक्षा बीकानेर के अधिकरियों द्वारा सरकार के इस महत्वपूर्ण एवं अतिसंवेदनशील मुद्दे पर सुझाव मांगना अथवा जनमत संग्रह करवाना सरकार के निर्णय को चुनौती देना है.

इस प्रकार के आदेश से पूरे राजस्थान के व्याख्याताओं में जबरदस्त आक्रोश है. अगर सरकार ने समय रहते निदेशालय बीकानेर के इस प्रकार के अतार्किक आदेशों को निरस्त नहीं करवाया तो पूरे रेसला संगठन आंदोलन की राह पकड़ेगा. रेसला जिला मंत्री कर्मवीर पूनियां ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट 2021-22 में "अतिरिक्त प्रमोशनल पद" सृजित करने की घोषणा की और घोषणा की अनुपालना में कार्मिक, विधि, वित्त से स्वीकृत होकर केबिनेट की अनुमति की मुहर के बाद 12 हजार 421 उप प्राचार्य का कैडर बनाया गया. जो पदोन्नति से भरा जाने वाला पद हैं और शत प्रतिशत व्याख्याता की पदोन्नति से भरा जाएगा. 

शिक्षा विभाग डीपीसी कराने के बजाय केबिनेट के फैसले पर आमजन से राय मांगने में व्यस्त हैं. जो दुर्भाग्यपूर्ण है. रेसला जिला कोषाध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने सरकार को अवगत करवाया कि पिछले 2 सालों से डीपीसी की प्रक्रिया लंबित है. जिसके कारण विभाग में बहुत सारे पड़ रिक्त है. रेसला प्रदेश वरिष्ठ महिला उपाध्यक्ष अंजू चौधरी ने बताया कि सरकार ने 20 नवंबर तक डीपीसी की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं करवाई तो पूरे प्रदेश समस्त व्याख्यातगण आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे. जिसकी समस्त जिमेदारी इस प्रकार के अवैध आदेश जारी करने वाले अधिकारी वर्ग की होगी.

ज्ञापन देने वाले में ये लोग रहे शामिल

रेसला जिला सभाध्यक्ष महेंद्र कुमार ने बताया कि भारतीय संविधान के इतिहास में पहली बार ऐसा देखा गया. जब किसी सरकार द्वारा बनाये गए नियमों पर अधिकारी वर्ग द्वारा सुझाव मांगे जा रहे हैं. जो को अतिसंवेदनशील और खेद का विषय है. ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मंडल में रेसला झुंझुनूं ब्लॉक अध्यक्ष रमेश पूनियां, अलसीसर ब्लॉक अध्यक्ष जनाब फारूक सीनियर, नितेश कुमार, मनोज झाझड़िया, सुनील सोमरा, राजेश कुमार, नितेश भास्कर, महेश दूदवाल, अजीत बराला, धर्मपाल लाखलान, सतपाल ढाका, अजय बिंदल, अशोक शर्मा, सुभिता बाबल, नीलम बेनीवाल, बबिता, मोना वर्मा, महबूब अली, राकेश कालेर, बजरंग धायल, पवन जांगिड़, पुष्पेंद्र सैनी, सत्यवीर सिंह, जितेंद्र जाखड़, मनोज स्वामी, नवीन सिंघोया, हवासिंह सहित सैंकड़ों व्याख्याता उपस्थित रहे.

Reporter- Sandeep Kedia

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