Janmashtami 2023: हर कृष्ण भक्त का यूपी के वृंदावन धाम जाने सपना होता है. इसे हर कोई जानता है लेकिन झुंझुनू में भी वैसा ही एक वृंदावन धाम है. इस धाम में वृंदावन की तरह निधिवन बांके बिहारी मंदिर पंच पेड़ पंचवटी आदि सभी है.
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Janmashtami 2023: हर कृष्ण भक्त का यूपी के वृंदावन धाम जाने सपना होता है. इसे हर कोई जानता है लेकिन झुंझुनू में भी वैसा ही एक वृंदावन धाम है. इस धाम में वृंदावन की तरह निधिवन बांके बिहारी मंदिर पंच पेड़ पंचवटी आदि सभी है. करीब 500 साल पहले बाबा पुरुषोत्तम दास ने काटली नदी के मुहाने पर पेड़ के नीचे तपस्या की और उन्होंने इस वृंदावन को बसाया. यहां पर जन्माष्टमी के उपलक्ष में हर साल मेला भरता है. तीन दिन विशेष धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रहती है. देश के दूसरे वृंदावन धाम झुंझुनू में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है.
मंदिर को बनारस के कलाकारों द्वारा वनस्पति बचाने के संदेश देते हुए जंगल थीम पर सजाया गया है. सुबह से ही पांच पेड़ स्थित बाबा पुरुषोत्तम की तपोस्थली पर श्रद्धालुओं ने मन्नत का धागा बांधा और बाबा पुरुषोत्तम से मन्नत मांगी. इसके बाद बिहारी जी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के भजनों और मंगल पाठ का आयोजन किया गया. मंगल पाठ में कलाकारों ने अपने प्रस्तुत दी. जन्माष्टमी मेल पर देश दिसावर से श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला लगातार जारी है.
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श्रद्धालु बिहारी जी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करते हुए मन्नत मांग रहे हैं. तीन दिवस मेले में आए श्रद्धालुओं ने बताया कि बाबा पुरुषोत्तम और भगवान श्री कृष्णा में गहरी आस्था है. इसी के चलते लोग इस दूसरे वृंदावन में जन्माष्टमी का पर्व मनाने आते हैं. मान्यता है कि करीब 500 साल पहले काटली नदी के मुहाने पर बाबा पुरुषोत्तम दास ने पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या की थी. उन्हीं के द्वारा इस वृंदावन को बसाया गया था. ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु एक बार इस मेले में आता है वह देश के किसी भी कोने में रहें जन्माष्टमी के मौके पर वृंदावन जरूर आता है.