झुंझुनूं में डरावनी बीमारी, 9 साल की उम्र होते ही बच्चे बीमार होते और 18 साल पर मौत, जानिए
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झुंझुनूं में डरावनी बीमारी, 9 साल की उम्र होते ही बच्चे बीमार होते और 18 साल पर मौत, जानिए

Jhunjhunu News : झुंझुनूं के सिंघाना में एक परिवार अज्ञात बीमारी की चपेट में है. एक परिवार में दो बच्चों की मौत हो गई, तीसरा भी उसी तरह बीमार हो गया है. ईलाज के लिए पैसे नहीं है, तो सरकार की योजना भी नहीं पहुंच पा रही है.

झुंझुनूं में डरावनी बीमारी, 9 साल की उम्र होते ही बच्चे बीमार होते और 18 साल पर मौत, जानिए

Jhunjhunu News : झुंझुनूं के सिंघाना के समीप हीरवा गांव में एक परिवार के सदस्य अनजान बीमारी से ग्रसित है. इस बीमारी के कारण दो भाइयों के दो बेटों की मौत हो चुकी है. तो वहीं तीसरा बेटा भी चपेट में है. ईलाज के लिए पैसे नहीं. इसलिए अब बस परिवार के सामने भी बेटे की सेवा के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है. सरकारी अभियान या योजनाओं से भी परिवार अनजान है. बात हीरवा गांव के नरेंद्र शर्मा के परिवार की है.

नरेंद्र शर्मा ने बताया कि उसके तीन बेटे है. जिनमें से सबसे बड़े बेटे राहुल की 18 साल की उम्र में मौत हो गई. जब वह करीब नौ साल का हुआ तो उसका वजन अचानक बढने लगा और वह उसका चलना, उठना व बैठना सब बंद हो गया. काफी सालों तक इधर-उधर दिखाया. लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ और वह आखिरकार चल बसा. इसके बाद अब उसके सबसे छोटे बेटे बबलू को भी इसी बीमारी ने अपने आगोश में ले लिया है. राहुल की तरह बबलू भी नौ साल का हुआ. तब तक हंसी खुशी खेलता भी था और स्कूल भी जाता था. लेकिन अपने सबसे बड़े भाई राहुल की तरह उसका भी अचानक वजन बढा और अब वह भी उठने, बैठने और चलने की स्थिति में नहीं है. ना ही ठीक से बोल पाता है.

नरेंद्र शर्मा ने बताया कि वह किसानी करता है. इसलिए उसके पास ईलाज के लिए पैसे नहीं है. वह बस अपने बेटे की सेवा कर रहा है. बेटे की जिंदगी रामभरोसे ही है. ऐसा ही उसके भाई सुरेंद्र के बेटे अरूण के साथ हुआ था. अरूण आरएएसी में सेवारत है. अरूण का बेटा भी जब नौ साल का हुआ तो उसकी भी स्थिति राहुल और बबलू जैसी हो गई थी. अरूण पढ़ा लिखा था और उसकी ड्यूटी दिल्ली थी. उसने ईलाज भी करवाया. लेकिन अरूण की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. करीब 19 साल की उम्र में अरूण की भी मौत हो गई. सुरेंद्र की बेटी एकता तथा नरेंद्र का बेटा शिवम स्वस्थ है. लेकिन परिवार में इस अनजान बीमारी को लेकर हर समय डर बना रहता है. देखने वाली बात यह होगी कि लाख दावे करने वाली सरकारी योजनाओं का लाभ इस परिवार को मिल पाता है या नहीं. या फिर भगवान भरोसे ही बबलू भी सीमित सांस के साथ परिवार के साथ रह सकेगा.

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