दुश्मन के घर में घुस किया 24 जवान को ढेर, जानें 1971 के बहादुर ​फौजी निहालसिंह डागर की कहानी
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दुश्मन के घर में घुस किया 24 जवान को ढेर, जानें 1971 के बहादुर ​फौजी निहालसिंह डागर की कहानी

Nihal Singh Dagar: शेखावाटी का झुंझुनूं जिला देश को सबसे अधिक सैनिक और शहीद देने वाला है. यहां के हर गांव ढाणी में शहीदों की लगी प्रतिमाएं यहां के जवानों की बहादुरी के अमिट हस्ताक्षर है.

Nihal Singh Dagar

Nihal Singh Dagar: शेखावाटी का झुंझुनूं जिला देश को सबसे अधिक सैनिक और शहीद देने वाला है. यहां के हर गांव ढाणी में शहीदों की लगी प्रतिमाएं यहां के जवानों की बहादुरी के अमिट हस्ताक्षर है. जब भी युद्ध की बात होती है तो यहां के वीर जाबांज जवानों की बहादुरी के किस्से सुनने को मिल जाएंगे. झुंझुनूं के ओजटू गांव के निहाल सिंह जब 1971 के भारत-पाक युद्ध की बात चलती है तो झुंझुनूं के चिड़ावा के समीप ओजटू के रिटायर्ड फौजी निहाल सिंह डागर की बहादुरी के किस्से जरूर सुनने को मिलते हैं.

24 जवानों को गोलियों से भून दिया
 78 वर्षीय रिटायर्ड फौजी के नाम से पाकिस्तानी फौज के जवान खौफ खाते थे. फौजी निहाल सिंह ने युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ाते हुए बोर्डर में घुसकर दुश्मन फौज के 24 जवानों को गोलियों से भून दिया था. जिसके चलते निहाल सिंह को वीर चक्र दिया गया. फौजी निहाल सिंह का जन्म पांच जनवरी 1945 को चिड़ावा पंचायत समिति क्षेत्र के ओजटू गांव में हुआ था. उनके पिता मालाराम और माता नारायणी देवी खेती-बाड़ी कर घर चलाते थे.

18 साल की उम्र में  भारतीय सेना में भर्ती हुए
 घर की हालत को देखते हुए निहाल सिंह महज 18 साल की उम्र में पांच जनवरी 1963 को भारतीय सेना में भर्ती हो गए. जिनकी पहली पोस्टिंग ही कश्मीर में मिली. करीब दो साल बाद उनकी पोस्टिंग राजस्थान में कर दी गई. उधर, पोस्टिंग के दौरान पाकिस्तान के साथ युद्ध शुरू हो गया. बकौल, निहालसिंह, 1971 में वे बाड़मेर में तैनात थे। दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हो चुकी थी। दोनों तरफ से गोला-बारूद और गोलियां दागी जा रही थी.

पलटन के साथ पाकिस्तान में घुसे
 पांच दिसंबर 1971 को वे अपनी पलटन के साथ जीप में सवार होकर पाकिस्तान में घुस गए. बोर्डर से करीब 103 किमी पाकिस्तान में घुसने के बाद डिपलो रेलवे स्टेशन के निकट पहुंच गए. रेलवे स्टेशन करीब तीन किमी पहले दुश्मन सेना के जवान ट्रकों में भरकर सामने आ गए. जिस देखकर जवान निहाल सिंह की भृकुटिंया तन गई. उन्होंने अपनी पलटन के साथ मिलकर पहले ट्रक में सवार आठ जवानों को बंधक बना लिया. दूसरे ट्रक में सवार पाकिस्तानी जवानों ने भारतीय फौज को देखकर ट्रक से उतर टीले के पार जाकर खेजड़ी के बड़े पेड़ के पास छिप गए.

ढेर करने के बाद ट्रक भी ले आए साथ
 उनका पीछा करते हुए निहाल सिंह खेजड़ी के पास पहुचने ही वाले थे कि दुश्मन फौज के एक जवान ने पिस्टल से निहाल सिंह पर फायर छोड़ दिया. जिससे निहाल सिंह बाल-बाल बच गए. बाद में निहाल सिंह ने स्टेन गन से फायर करते हुए पाकिस्तानी फौज के सभी 24 जवानों को मौत के घाट उतार दिया. उन्होंने स्टेन गन से करीब 68 फायर किए. इस बीच 16 दिसंबर को युद्ध विराम का मैसेज मिल गया.जिसके बाद निहाल सिंह अपने साथियों के साथ वापस लौट गए.

वीर चक्र से सम्मानित
कुछ दिन बाद निहाल सिंह को वीर चक्र दिए जाने की घोषणा हुई. बहादुर सिपाही निहाल सिंह और उनके साथियों ने दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया. दुश्मन फौज के 24 जवानों को मारने के बाद पाकिस्तान फौज के 8 जवान को बंधक बनाकर ले आए साथ ही उनका ट्रक भी भारत ले आए. फौजी निहाल सिंह के अनुसार दुश्मनों को हराने के बाद उन्होंने एक ट्रक को आग के हवाले कर दिया। वहीं दूसरे को भारत ले आए.

दोनों बेटों को भी सेना में 
 जिसे बाद में जोधपुर के उम्मेद पैलेस में खड़ा किया गया. निहाल सिंह ने अपने दोनों बेटों को भी देश की हिफाजत के लिए सेना में भेजा. उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश सूबेदार मेजर के पद पर कार्यरत हैं. वहीं छोटा बेटा सुरेंद्र हवलदार के पद से रिटायर्ड हो चुका है. रिटायर्ड फौजी निहाल सिंह का परिवार नूनियां गोठड़ा के पास रहता है.

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