प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश ने तबाही मचा (Rain wreaked havoc) रखी है. बाढ़ जैसे हालात हैं लेकिन पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) का रेगिस्तान इस बार बारिश की एक-एक बूंद को तरस रहा है.
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Barmer: प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश ने तबाही मचा (Rain wreaked havoc) रखी है. बाढ़ जैसे हालात हैं लेकिन पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) का रेगिस्तान इस बार बारिश की एक-एक बूंद को तरस रहा है.
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आलम यह है कि लोगों ने इंद्र देवता को मनाने के लिए जतन करना शुरू कर दिया है क्योंकि अब लोगों को अकाल आहट (Famine) सता रही है, इसीलिए आज बाड़मेर (Barmer) शहर के सबसे बड़ी कारेली नाड़ी (kareli Nari) में सैकड़ों साल पुरानी परंपरा (Old tradition) के अनुसार, सात प्रकार के अनाज को इकट्ठा करके बकाला कर इंद्र देवता (God Indra) को प्रसन्न करने की कोशिश शुरू की है.
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राजस्थान (Rajasthan) के कई हिस्सों में इंद्रदेव ने तबाही मचा रखी है और ज्यादा बारिश से बने बाढ़ के हालात के कारण पानी का जलजला लोगों के सामने मुसीबत बन कर खड़ा हो गया है. वहीं, दूसरी तरफ पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) इस बार बारिश नहीं होने के कारण लोग इंद्रदेव से बारिश के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.
टोटके भी आजमा रहे लोग
इंद्रदेव को मनाने के लिए अलग-अलग प्रकार के जतन शुरू कर दिए हैं. सोमवार को बाड़मेर (Barmer) शहर भर से सात प्रकार के अनाज इकट्ठा कर शहर की सबसे पुरानी नाडी कारेली नाडी पर बाकला करके चारों दिशाओं में फेंक कर इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए लोगों ने प्रार्थना की.
स्थानीय लोगों का कहना है कि मामूली सी बारिश होने पर लोगों ने कृषि ऋण (Agricultural Loan) लेकर खेतों में बुआई कर दी, लेकिन बारिश नहीं होने के चलते फसलें नष्ट होने की कगार पर आ गई हैं. किसानों का कहना है कि अभी भी थोड़ी बहुत बारिश हो जाएगी तो मवेशियों के लिए चारे-पानी का जतन हो जाएगा.
सावन का तीसरा सोमवार है, बारिश की बूंद नहीं
आमतौर पर पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) में जुलाई के प्रथम सप्ताह से ही बारिश का दौर शुरू हो जाता है लेकिन इस बार अगस्त का प्रथम सप्ताह और सावन का तीसरा सोमवार के जाने के बाद भी पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) में मानसून (monsoon) नहीं आया है, जिसके चलते अब लोगों के साथ ही मवेशियों के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है.
Reporter- BHUPESH ACHARYA