पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) के जोगी समुदाय में प्रेम नाथ पहले सब इंस्पेक्टर बने हैं. यह वही समुदाय है, जिसके लोग दो वक्त की रोटी के लिए घूम-घूम कर जुगाड़ करते हैं या फिर पत्थर तोड़ने की मजदूरी करते हैं.
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Barmer: कहते हैं कि कुछ करने की ठानने वालों के लिए असफलताएं भी उनके कदमों को नई ऊर्जा प्रदान करती हैं और वह इतिहास रचकर ही दम देते हैं.
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ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बाड़मेर (Barmer) से जोगी समुदाय (Jogi community) से आने वाले युवक प्रेमनाथ (Premnath) ने. सांप का खेल और कालबेलिया नृत्य कर अपना गुजर बसर करने वाले जोगी समुदाय के प्रेमनाथ ने अपनी मेहनत से इतिहास रचते हुए पहले तो कांस्टेबल (Constable) बने और फिर लगातार मेहनत करके जोगी समुदाय के पहले सब इंस्पेक्टर (Sub inspector) बनने का गौरव हासिल किया है. प्रेमनाथ को अब बधाइयां देने वालो का तांता लगा हुआ है.
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पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) के जोगी समुदाय में प्रेम नाथ पहले सब इंस्पेक्टर बने हैं. यह वही समुदाय है, जिसके लोग दो वक्त की रोटी के लिए घूम-घूम कर जुगाड़ करते हैं या फिर पत्थर तोड़ने की मजदूरी करते हैं लेकिन प्रेम नाथ जोगी ने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी अपनी समाज में एक नया मुकाम हासिल किया है. सब इंस्पेक्टर की भर्ती में चयन होने के बाद प्रेम नाथ जोगी आज ट्रेनिंग के लिए जयपुर रवाना हो रहे हैं. उससे पहले प्रेम नाथ जोगी को उनके बेंच के कांस्टेबल साथियों ने बधाई दी और माला पहनाकर स्वागत किया.
क्या कहना है प्रेमनाथ का
प्रेमनाथ बताते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में कभी हिम्मत नहीं हारी. जब छोटा था, उस वक्त पिता चल बसे और उसके बाद 12वीं की पहली परीक्षा थी, उससे पहली रात मां चल बसी लेकिन दोस्तों ने जबरदस्ती परीक्षा दिलवा दी. हमेशा कुछ करने के लिए संघर्ष करता रहता हूं. इससे पहले भी पटवारी से लेकर RAS के परीक्षाओं में असफलता के बावजूद भी कभी हिम्मत नहीं हारी. 2018 में मैं कांस्टेबल बन गया. उसके बाद ड्यूटी के साथ लगातार ही अपनी तैयारी करता रहा और आज सब इंस्पेक्टर बन गया. इस बात की मुझे बेहद खुशी है क्योंकि इनका समाज के आज भी लोग मजदूरी करते नजर आते हैं शिक्षा नाममात्र की है.
समाज के बच्चों ने बढ़ाया पढ़ाई के प्रति रुख
नवचयनित सब इंस्पेक्टर प्रेम नाथ जोगी बताते हैं कि शुरू से ही उनकी इच्छा पढ़ लिखकर कुछ नौकरी करने की थी, इसीलिए शुरू से ही संघर्ष किया है विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी मेरे बड़े भाई ने पत्थर की मजदूरी करके मुझे पढ़ाया लिखाया और जब मैं बाड़मेर शहर में आया तो यहां पर भी लोगों ने मेरा पूरा साथ दिया और उसी का नतीजा है कि आज मैं थानेदार बन गया हूं. मेरे समाज के लोग आज भी दो वक्त की रोटी के लिए इधर-उधर भटकते हैं. कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. हां यह जरूर है कि मेरे कॉन्स्टेबल बनने के बाद मेरे समाज के बच्चों ने पढ़ाई के प्रति अपना रुख बढ़ाया है, जो कि मेरे लिए बेहद खुशी की बात है क्योंकि किसी भी समाज की तरक्की बिना शिक्षा के नहीं हो सकती है मैं थानेदार तो बन गया हूं लेकिन मेरा सपना RAS अधिकारी बनना है जिसके लिए मैं पूरी तरीके से कोशिश करता रहूंगा.
कई बार असफलता मिली लेकिन नहीं हारी है हिम्मत
प्रेम नाथ जोगी को पटवारी से लेकर RAS प्रतियोगी परीक्षाओं में कई बार असफलता हाथ लगी लेकिन हिम्मत कभी नहीं हारी और उसी का नतीजा है कि आज प्रेमनाथ सब इंस्पेक्टर बन गए.
Reporter- Bhupesh Acharya