जोधपुर जिले में गिरते भूजल के बाद अब किसान शेडनेट, पाली हाउस, बागवानी इत्यादि को अपनाकर खेती से आय का अच्छा लाभ ले रहे हैं. अनार की खेती कर यहां के किसान एक साल में 20 से 22 लाख रुपये तक कमा रहे हैं.
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जोधपुर: कोरोना संक्रमण के बाद फलों की डिमांड पहले से ज्यादा बढ़ गई है. खासकर खून बनाने वाले फलों की मांग तो और ज्यादा है. जी हां हम बात कर रहे हैं अनार की. बाजार में अनार की डिमांड ऑल टाइम हाई है. बाजार में मांग ज्यादा होने से अब अनार की खेती करने का क्षेत्रफल भी बढ़ रहा है. राजस्थान के किसान अनारों की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं.
जोधपुर जिले के भोपालगढ़ उपखंड कृषि क्षेत्र के ग्राम कुड़ी की प्रगतिशील महिला किसान सुखीदेवी डूडी और उनके पति पेमाराम डूडी ने परम्परगत खेती को छोड़कर बागवानी खेती को प्राथमिकता दी. खेतों में बून्द-बून्द सिंचाई से अनार का बगीचा तैयार किया और यह दंपति आज लाखों की कमाई कर रहा है. दंपति का कहना है कि शुरुआत में कई तरह के ताने भी सुनने को मिले, लेकिन कहते हैं कि जिद करो और दुनिया बदलो. हमने वही किया और आज इस फल की खेती से पूरा इलाका सुगंधित है और किसानों के चेहरों पर मुस्कान है.
अनार की खेती करने का ऐसे आया ख्याल
कुड़ी गांव के रहने वाले किसान पेमाराम डूडी कहते हैं कि उनके दिमाग में अनार की खेती करने का ख्याल सहायक कृषि अधिकारी रफीक अहमद कुरैशी से आया. पेमाराम डूडी पहले पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन एक दिन वह सहायक कृषि अधिकारी रफीक अहमद कुरैशी से मिलने पहुंचे. कृषि अधिकारी ने बागवानी खेती करने की सलाह दी. उसके बाद वह मिट्टी व पानी की जाचं करवा कर बूंद-बूंद सिचांई पद्धति को अपनाते हुए सफल बागवानी खेती करनी शुरू की.
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चार हजार हेक्टेयर में डूडी दंपति अनार के पौधे लगाए, इस बगीचे मे ज्यादा जैविक पद्धति के अव्यवों का उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि उद्यानिकी योजना में पौधौं पर अनुदान (सब्सिडी) भी मिला. तीन वर्ष तक पौधे पनपने तक पौधे के बीच रिक्त स्थानों में अन्तराशस्य के रूप में खरीफ व रबी की फसलों का उत्पादन निरतंर मिलता रहा. सबसे ज्यादा फायदा बूंद-बूंद सिचांई पद्धति अपनाने से हुआ. कम सिचांई जल में बागवानी खेती पनप गई. सिचांई बचत जल से सिचिंत खेती का अतिरिक्त लाभ हुआ.
पिछले साल 16 लाख रुपये की कमाई
आज एक पौधे पर 70 से 80 प्रतिशत फल है.अनुमानित दस से पंद्रह किलोग्राम फल प्रति पौधे से मिल रहा है. प्रति पौधा से 600 से सात सौ रुपये आय के हिसाब कुल चार हजार पौधौं से 20 से 22 लाख रुपये की कुल आय इस वर्ष होने की उम्मीद है. पिछले साल 16 लाख रुपये की अनार की बिक्री हुई थी. दो वर्ष में अनार बागवानी से कुल आय 35 से 38 लाख रुपये होने का अनुमान है. डूडी दंपति का कहना है कि उद्यान विभाग की सलाह उनके लिए उपयोगी साबित हो रही है.
अनार की खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर
जोधपुर उद्यान विभाग के अधिकारियों में संयुक्त निदेशक उद्यान जोधपुर इन्द्रसिंह संचेती, उपनिदेशक उद्यान जोधपुर जयनारायण स्वामी, सहायक कृषि अधिकारी रफीक अहमद कुरैशी सहित अधिकारीयों ने उन्हें यहां समय-समय पर अनार बगीचे का निरीक्षण कर कृषि उपयोगी बागवानी की उन्नत तकनीकी की जानकारी साझा की. यह अनार बागवानी उनकी आय का सर्वोत्तम स्त्रोत हो गई. जिले में सिर्फ डूडी दंपति ही अनार की खेती नहीं कर रहा. डूडी दंपति को देखकर आसपास के कई किसान बागवानी की खेती शुरू किए हैं. हाल ही में भोपालगढ़ क्षेत्र के किसान 08 से 10 हेक्टर में अनार बगीचे की बागवानी खेती का लाभ ले रहे हैं.