जोधपुर में मिलेंगे अलग-अलग वैराइटी के खजूर, सऊदी अरब और ईरान के dates को छोड़ेगा पीछे, खेती को लेकर बढ़ा रुझान
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जोधपुर में मिलेंगे अलग-अलग वैराइटी के खजूर, सऊदी अरब और ईरान के dates को छोड़ेगा पीछे, खेती को लेकर बढ़ा रुझान

Dates Farming in Jodhpur: खजूर की खेती को लेकर किसानों में रुझान बढ़ने लगा है. जोधपुर जिले की रतकुड़िया ग्राम में प्रगतिशील किसान रामनारायण डूडी ने खजूर की खेती की शुरुआत की है. सऊदी अरब और ईरान के खजूर से भी बेहतर क्वालिटी का होगा.

किसान खजूर का खेती को दे रहे हैं प्राथमिकता.

Dates Farming in Jodhpur: पश्चिमी राजस्थान के किसान फसलों के साथ- साथ मशाला की खेती विशेषकर जीरा की खेती को प्रमुखता से कर रहे है. उद्यानिकी योजना में पालीहाऊस, शेडनेट, वर्मी कम्पोस्ट, कम लागत के प्याज भण्डारण, फव्वारा,मिनी फव्वारा, बूंद- बूंद सिचाई पद्धति, सामुदायिक फार्म पौण्ड और बागवानी खेती में नीबूं, बेर,अनार की खेती को अपना रहे है.

अब मरूस्थल में नवाचार खेती में खजुर की खेती में विस्तार देखने को मिल रहा है. खजूर शुष्क जलवायु में उगने वाला प्राचीनतम फलदार वृक्ष है. खजूर की खेती को लेकर किसानों में रुझान बढ़ने लगा है.

मरूस्थल में खजूर की खेती को लेकर किसानों में बढ़ने लगा रुझान
जोधपुर जिले की रतकुड़िया ग्राम में प्रगतिशील किसान रामनारायण डूडी ने खजूर की खेती की शुरुआत की है जो इस क्षेत्र के आसपास किसानों को एक नवाचार खेती खजुर देखने को मौका मिलेगा.

टिश्यु कल्चर के पौधौं का पौधारोपण कार्य किया गया
प्रगतिशील किसान रामनारायण डूडी ने बताया कि भोजका जैसलमेर जाकर खजूर उत्कृष्टता केंद्र को देखा. इसके बाद परंपरागत खेती के साथ -साथ नवाचार खेती में खजूर की खेती को प्राथमिकता दी. अभी हाल ही में क्षेत्र में किसान बागवानी खेतीं में नींबू, बेर, अनार के बागवानी को बखूबी से कर रहे हैं. उन्होंने भी अभी एक हेक्टर में खजूर की खेती की शुरुआत की है.

टिश्यु कल्चर के पौधौं का पौधारोपण कार्य किया है साथ ही बूंद- बूंद सिचांई पद्धति को अपनाया है ताकि सीमित सिचांई जल से खजुर के पौधे पनप सके और जल का कुशलतम प्रयोग हो. खेती में सबसे महत्वपूर्ण आदान है सिचांई जल. कृषि-उद्यानिकी विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार खेती में उन्नत तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है.

किसान खजूर का खेती को दे रहे हैं प्राथमिकता
डूडी ने कहा कि भूमिगत जल काफी गहराई में जाना उसमें गुणवत्ता विकार आना इत्यादि इसे देखते हुए बागवानी आज की आवश्यकता है ताकि खेती में वर्तमान में उपलब्ध सिंचाई जल से बागवानी पनप जाये जो आनेवाले कई वर्षों तक खेती आय का लाभ दे सके. फसलों के साथ-साथ बागवानी खेती भी खेती आय का एक अहम स्रोत हो सकता है. खेत की मिट्टी और सिचांई के पानी की जांच करवा कर इसके अनुरूप नवाचार खेती खजूर को प्राथमिकता दी है. मैंने एक हेक्टर में खजूर के 156 पौधों में 148 मादा और 08 नर जिसमें विभिन्न प्रकार किस्म के पौधे है जो खेत में स्थापित किये है.

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पौधारोपण का कार्य चल रहा
खजुर की खेती पर पौधौं की लागत का पिचहत्तर प्रतिशत अथवा अधिकतम एक पौधे पर तीन हजार तक अनुदान देय है. राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना में नीबूं, बेर और अनार की खेतीं पर भी अनुदान देय है. बागवानी खेती में सिचांई जल का कुशलतम उपयोग हेतु सुक्ष्म सिचांई पद्बति में बूंद बूंद उपयोगी पद्धति है. इस पर भी पौधों के अलावा कृषक श्रेणी अनुसार अनुदान देय है.

अभी विभिन्न प्रकार के पौधारोपण का कार्य चल रहा है. खेत की मिट्टी और सिचांई जल की जांच के पश्चात बागवानी खेती में आनलाइन आवेदन प्रस्तुत कर अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकते है. खेती में फसल,मशाला खेती के साथ साथ बागवानी खेती भी खेती आय का एक अच्छा विकल्प है.

Reporter-Bhawani Bhati

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