फिर बढ़ा जोधपुर का पारा, हिंदू हुंकार रैली के जरिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग
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फिर बढ़ा जोधपुर का पारा, हिंदू हुंकार रैली के जरिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग

अनुच्छेद 22 से ये सुनिश्चित किया गया है कि हर कपल को ये आजादी है कि वो कितने बच्चे हो इसका फैसला करें.  बच्चों की संख्या को नियंत्रित करना अनुच्छेद 16 यानी पब्लिक रोजगार में भागीदारी और अनुच्छेद 21 यानी जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लघंन माना जाएगा.

फाइल फोटो

Jodhpur : राजस्थान में जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग को लेकर जोधपुर में हिंदू हुंकार रैली निकाली गयी. इस दौरान कुछ दिन पहले विवाद में रहे जालोरी गेट पर एसटीएफ की तैनाती भी की गयी ताकि असमाजिक तत्व मौके का फायदा ना उठा सकें. इस दौरान प्रशासन की तरफ से रैली स्थल से 7 किमी पहले एसटीएफ की तैनाती की गयी है.

हालांकि इस दौरान पुलिस प्रशासन के दावों की पोल तब खुल गयी जब हिंदू हुंकार रैली के प्रदेश अध्यक्ष ने चौराहे के भीतर जाकर मूर्ति पर किया माल्यार्पण किया . जिसके बाद डीसीपी वेस्ट ने मीडिया पर भड़ास निकाले हुए कवरेज कर रहे मीडियाकर्मियों को धक्के देकर बाहर निकाल दिया. 

क्या है जनसंख्या नियंत्रण कानून जिस पर मचा है बवाल 
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1.4 बिलियन से ज्यादा लोग रहते हैं. हमारा देश आबादी में दुनिया में दूसरे पायदान पर है. 2019 के जनसंख्या नियंत्रण बिल के मुताबिक हर कपल,  टू चाइल्ड पॉलिसी को अपनाएं, यानी की दो से ज्यादा संतान नहीं होनी चाहिए. तमान विवादों के बाद इस बिल को 2022 में वापस ले लिया गया था.

हमारे संविधान में क्या हैं प्रावधान ?
1969 के डिक्लेरेशन ऑन सोशल प्रोग्रेस एंड डेवलपमेंट के अनुच्छेद 22 से ये सुनिश्चित किया गया है कि हर कपल को ये आजादी है कि वो कितने बच्चे हो इसका फैसला करें.  बच्चों की संख्या को नियंत्रित करना अनुच्छेद 16 यानी पब्लिक रोजगार में भागीदारी और अनुच्छेद 21 यानी जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लघंन माना जाएगा.

अब तक 35 बार संसद में पेश किया जा चुका है ये बिल
टू चाइल्ड पॉलिसी को आजादी के बाद से अब तक 35 बार संसद के पटल पर रखा जा चुका है. अगर ये कानून लागू किया जाता है तो कानून को तलाकशुदा जोड़ों के अधिकारों के साथ-साथ इस्लामी धर्म को भी ध्यान में रखना पड़ेगा. इससे पहले जब ये बिल पेश किए गया तो कई कमियों के चलते बिल की आलोचन हुई. बिल के विरोध में लोगों का कहना है कि इस बिल से लिंग चयन और असुरक्षित गर्भपात के मामले बढ़ेगे.

हालांकि 2017 में असम असेंबली ने पॉप्युलेशन एंड वुमन एंपावरमेंट पॉलिसी को मंजूरी दे दी गयी जिसके मुताबिक वो ही उम्मीदवार सरकारी नौकरी के योग्य होंगे जिनके दो बच्चे होंगे. इसके साथ ही जो पहले से ही सरकारी नौकरियों में हैं उन्हें भी टू चाइल्ड पॉलिसी को अपनाना पड़ेगा. इसी तरह 2021 में उत्तर प्रदेश की लॉ कमीशन एक प्रपोजल लेकर आई थी. जिसके मुताबिक दो से ज्यादा बच्चों वाले लोगों को किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित रखा जाएगा. यह ड्राफ्ट बिल अभी विचाराधीन है.

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