जोधपुर न्यूज:यहां ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने के कगार पर, पुरातत्व विभाग क्यों नहीं दे रहा ध्यान?
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2109021

जोधपुर न्यूज:यहां ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने के कगार पर, पुरातत्व विभाग क्यों नहीं दे रहा ध्यान?

जोधपुर न्यूज: ऐतिहासिक धरोहर नष्ट व लुप्त होने के कगार पर है.हर्षा देवल मंदिर आज खंडहर होता जा रहा है.मंदिर की भुमि पर भूमाफिया कर रहे हैं अतिक्रमण.पुरातत्व विभाग नहीं दे रहा ध्यान.

जोधपुर न्यूज:यहां ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने के कगार पर, पुरातत्व विभाग क्यों नहीं दे रहा ध्यान?

जोधपुर न्यूज: बिलाड़ा में सैकड़ों वर्ष पूर्व बना हर्ष गांव के ऐतिहासिक ‘हर्षादेवल’ अब खंडहर स्थिति में पहुंच गया है,पुरातत्व विभाग ने इस देवल का अधिग्रहण तो कर लिया लेकिन इसके जीर्णोंद्वार के नाम पर दो दशक में एक कौड़ी तक खर्च नहीं की.ऐसे में यह जर्जर होता जा रहा है. इसी देवल की भांति पवित्र बाण गंगा पर बने शिव मन्दिर तथा बाला गांव का शिव मन्दिर जो अपनी कलात्मक कारीगरी के लिए प्रसिद्ध माना जाता है, ये मंदिर विभागीय उपेक्षाओं का शिकार हो रहे हैं.

 वंशजों ने निमाण करवाया

पुजारी प्रकाश दाधीच ने बताया कि हमारी चार पीढी हो गई इस मंदिर मे पुजा करते आ रहे है इस मंदिर का निर्माण संवत ११३३ मे निर्माण हुआ. राजा सवाई भोज बगडावत के वंशजों ने निमाण करवाया इनका जन्म स्थल यही था.

राजा बगड़ता की जमीन लगभग पाच हजार बीगा थी यहा इनके घोड़े चरा करते थे. जब वे यहां घूमने आये तो एक पुराना शिवलिंग देखा उसको देखकर उन्होने इस मंदिर का निर्माण करवाया कहा जाता है, कि इस मंदिर निर्माण मे न तो चुना या किसी प्रकार की सिमेंट नही है.

पांडव शिवलिंग बनाकर पूजा किया करते थे

 एक पत्थर के उपर एक पत्थर रखकर निर्माण करवाया गया. कहते हैं कि इस मंदिर लगे खम्बो को आज भी नही गिन सकते है. पास ही एक नाडी बनवाई और नाडी के पास एक चामुण्डा मंदिर बनवाया यह नाडी लोगो के पीने का उपयोग होता था आज यह नाडी अपना अस्त्थिव खो चुकी हैं.पांडवों ने भी किया वनवास कहा जाता है कि यहा पर पांड़वों ने भी अपना वनवास काटा था पांडव शिवलिंग बनाकर पूजा किया करते थे, 

महाशिवरात्री के समय भक्तों की भीड़ रहती है

आज भी यह शिवलिंग यहा स्थित है.पुरात्तव ने नहीं ली सुध हर्षा देवल मंदिर पुरात्तव के अधन आता है पुरातत्व विभाग ने कभी भी सुध नही ली गांववासियों ने कई बार लिखित में दिया. लेकिन कर्मचारी आकर अपनी खाना पूर्ति कर चले जाते हैं. मंदिर के आपास की लगभग पचीस बीगा जमीन भी लोगों ने दबा ली है. आज इस मंदिर का कोई भी देखभल करनेवाला नहीं है, सोमवार व महाशिवरात्री के समय भक्तों की भीड़ रहती है.

ये भी पढ़ें- Bhilwara news: मांडलगढ़ में ग्राम पंचायत और भूमाफिया का गठजोड़, जानें आखिर कैसे कर दिया खेला?

 

 

Trending news