जोधपुर से गई टीम ने किया फीमेल लेपर्ड का रेस्क्यू, संदेह के घेरे में वन विभाग की कार्यप्रणाली
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जोधपुर से गई टीम ने किया फीमेल लेपर्ड का रेस्क्यू, संदेह के घेरे में वन विभाग की कार्यप्रणाली

जोधपुर से गई वन्य जीव प्रभाग (Wildlife Division) की टीम ने पाली जिले के बोया गांव के समीप फंदे में फंसी एक फीमेल लेपर्ड को रेस्क्यू किया है.रात दो बजे इस फीमेल लेपर्ड को शिकारियों के फंदे से मुक्त करा दिया गया. फंदे में फंसने के कारण जख्मी हई इस लेपर्ड का जोधपुर में इलाज किया जा रहा है

फीमेल लेपर्ड का रेस्क्यू

Jodhpur: जवाई डेम क्षेत्र में लेपर्ड (Leopard) की संख्या बढ़ने के साथ शिकारी भी सक्रिय हो गए हैं. जोधपुर से गई वन्य जीव प्रभाग (Wildlife Division) की टीम ने पाली जिले के बोया गांव के समीप फंदे में फंसी एक फीमेल लेपर्ड को रेस्क्यू किया है.रात दो बजे इस फीमेल लेपर्ड को शिकारियों के फंदे से मुक्त करा दिया गया. फंदे में फंसने के कारण जख्मी हई इस लेपर्ड का जोधपुर में इलाज किया जा रहा है. ठीक होने पर इसे वापस उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा.

शनिवार रात को जोधपुर वन विभाग (Forest department) के अधिकारियों को जवाई रेलवे स्टेशन के निकट बोया गांव में एक फीमेल लेपर्ड के फंदे में फंसे होने की सूचना मिली थी और उसका एक वीडियो भी भेजा गया था, जिसमें एक पांव फंदे में फंसा हुआ दिखाई दे रहा था. इस कारण वह मदद के लिए चिल्ला रही थी. वीडियो देखने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने वन्य जीव प्रभाग की टीम को देर रात जोधपुर से भेजा गया.

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इस टीम में डॉ ज्ञान प्रकाश, वेट असिस्टेंट महेंद्र, सीनियर रिस्क्यूवर बंशी, फॉरेस्ट गार्ड बंशी, सुरेश, राजू फौजी व पाली के वन कर्मी शामिल थे. यह टीम रात दो बजे मौके पर पहुंची और सर्द रात में फंदे से निकलने के लिए छटपटा रही फीमेल लेपर्ड को बेहोश कर फंदे से मुक्त करा दिया. टीम के लोग इसे लेकर सोमवार सुबह जोधपुर पहुंचे. फंदे में फंसा होने के कारण इसके पांव पर गहरा घाव हो गया है. इसका इलाज किया जा रहा है. ठीक होते ही हमेशा की तरह लेपर्ड को उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा.

वहीं लेपर्ड के फंदे में फंसे होने की सूचना के बाद बिश्नोई टाइगर फोर्स के प्रदेश मंत्री उदाराम ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ही शिकारी शिकार करते हैं. यहां तक की वन विभाग के अधीन आने वाले क्षेत्र में अधिकारियों की मिलीभगत के होटल और रेस्टोरेंट बन गये है. यहां तक कि वन विभाग में कार्य करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा लोगों को अपने घरों में रुकवाने का काम भी चल रहा है और यह लोग शिकारियों को भी प्रोत्साहित करते हैं.

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ऐसे में सरकार को इस पूरे मामले में जांच करवानी चाहिए और शिकार की घटनाओं पर अंकुश लगाना चाहिए. उदाराम ने कहा कि सफारी के नाम पर जो अवैध वाहन चल रहे हैं, उसके खिलाफ भी विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता और ना होटलों पर कोई कार्रवाई करता है, जिससे वन्य विभाग की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आती है.

Reporter- ARUN HARSH

 

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