लूणी के डोली में अंनत चौदस पर अंत की कहानी सुनकर व्रत खोला गया, वहीं, सनातन धर्म में सभी व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व माना गया है, उन्हीं में से एक है अनंत चतुर्दशी व्रत , हिंदू पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को रखा जाता है
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Luni: अंनत चौदस शुक्रवार को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया है. इसी कड़ी में लूणी के डोली में अंनत चौदस पर अंत की कहानी सुनकर व्रत खोला गया, वहीं, सनातन धर्म में सभी व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व माना गया है, उन्हीं में से एक है अनंत चतुर्दशी व्रत , हिंदू पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को रखा जाता है, अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा-अर्चना की जाती है.
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अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है ,अनंत चतुर्दशी के दिन स्नान-ध्यान के बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा और अनंत चतुर्दशी की कथा का पाठ किया जाता है , इसके बाद साथ ही एक सूती धागे को कुमकुम, हल्दी और केसर से रंगने के बाद उसमें 14 पवित्र गांठें लगाकर अनंता तैयार किया जाता है , अनंता को तैयार करके भगवान विष्णु के मंत्र अच्युताय नमः अनंताय नमः गोविंदाय नमः को पढ़ते हुए उन्हें समर्पित किया जाता है और उसके बाद प्रसाद स्वरूप अपने दाहिनी बांह में धारण किया जाता है, यह अनंत सूत्र सभी प्रकार की बुरी बलाओं और शत्रुओं से रक्षा करने वाला होता है. मान्यता है कि इस व्रत रखने और अनंत सूत्र को बांधने से आर्थिक, शारीरिक व मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है , कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति सभी सुखों को भोगने के बाद अंत में मोक्ष को जाता है.
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