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जोधपुर: शहर में आने वाले मुख्य मार्गों पर तैनात सुरक्षा नाके राम भरोसे है. नाके पर पुलिस तैनात नहीं होने से धड़ल्ले से वाहनों के आने का सिलसिला जारी है. हाल ही में पुलिस लाइन की बजाय इन पुलिस सुरक्षा के नाके की जिमेदारी संबंधित थानों को दिए जाने के अब यह अधिकतर समय बंद ही रहते हैं. ऐसे में शहर में कोई आपराधिक वारदात के बाद आरोपियों को भागने या यूं कहे कि भारी वाहनों को शहर में आने से रोकने वाला कोई नहीं हैं. ऐसे में अब यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार अपराधों पर अंकुश लगेगा तो कैसे.
इलाके में मुख्य मार्गों में प्रवेश से पहले वाहनों की जांच या किसी आपराधिक घटना के बाद नाकाबंदी को लेकर कमिश्नरेट के बनाड़, डांगियावास, मंडोर,सारण नगर, शिकारगढ़ नाका, झालमंड नाका, ग़ौरा होटल , खेजड़ली ,डीपीसी चोराहा,डाली बाई चोपड इलाकों में स्थाई पुलिस नाके लगाए जाते थे. जहां पहले रिजर्व पुलिस लाइन 24 घंटे इन नाकों को संचालित करती थी.
यहां पर 12-12 घंटे के 2 शिफ़्ट में 1 हेड कॉन्स्टेबल और 2 कॉन्स्टेबल तैनात रहते थे, लेकिन अब इन नाकों को संचालित करने का जिम्मा संबंधित थानों को देने के बाद यह अब अधिकतर समय बंद या यूं कहे कि बंद ही रहते हैं. ऐसे में बिना किसी रोकटोक भय के लोग यहां से गुजरते हैं. यही नहीं भारी वाहनों के प्रवेश पर सुबह 10 बजे के बाद रोक के बावजूद वाहन शहर में आते जाते रहते हैं. लोगों की माने तो यह नाके नियमित संचालित होते हैं तो ज्यादा ठीक रहता, लेकिन पुलिस ने इसे लगभग बंद ही कर दिए.
पुलिस अधिकारियों का दावा है कि नाके संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनकी हकीकत कुछ और ही है. शहर में आने वाले मुख्य मार्गों राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगे करीब 9 नाके पुलिस लाइन से लेने और इसके संचालन की जिम्मेदारी थानों को दिए जाने के बाद से ही अब सुनसान पड़े हैं. इनको देख का अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि यहां अपराधों पर अंकुश लगाने अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस कितनी गंभीर होगी. हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि यह थानों को देने से प्रभावी नाकाबंदी हो सकेगी, जबकि थानों में पहले से ही जाब्ते की कमी है. ऐसे में इन नाको का संचालित करना थाने के कार्मिकों के लिए मुश्किल हैं.
Reporter- Bhawani singh
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