Amavasya Do's and Don'ts : अमावस्या की रात को निशाचरी यानी काली खतरनाक रात (Amavas ki raat) कहा जाता है. जिस तरह हिंदू धर्म में पूर्णिमा को महत्वपूर्ण माना गया है. आज की रात ना करें ये काम.
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Amavasya 2024 Do's and Don'ts : अमावस्या की रात को निशाचरी यानी काली खतरनाक रात (Amavas ki raat) कहा जाता है. जिस तरह हिंदू धर्म में पूर्णिमा को महत्वपूर्ण माना गया है उसी तरह अमावस को भी विशेष माना गया है. अमावस्या की रात को भूत-प्रेत अधिक एक्टिव यानी सक्रिय हो जाते हैं. इस दिन जादू टोना, तंत्र मंत्र, साधना कर सिद्धि प्राप्त करते है.
हिंदू धर्म में पौष अमावस्या को विशेष महत्व दिया गया है. पौष अमावस्या के दिन अपने पितर धरती पर उतरते है. ये अमावस्या जनवरी में आती है. इस बार पौष अमावस्या 11 जनवरी को है. कुछ खास तिथि पर कमजोर दिल वाले लोगों पर इस दिन का प्रभाव ज्यादा देखा गया है. खासकर अमावस की रात और पूर्णिमा की रात.
हिंदी पंचांग के अनुसार, हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या पड़ती है. जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा पड़ती है. इसे आसान शब्दों में समझें कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या और शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन पूर्णिमा पड़ती है.
एक साल में कुल 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा होती हैं. सभी का अलग अलग महत्व है. धामिक मान्यताओं और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अमावस्या की रात को भूत पिशाच, निशाचर, दैत्य जीव जन्तु ज्यादा सक्रिय हो जाते है. इस दिन पूजा, जप, तप, तंत्र मंत्र विद्या का विशेष साधना किया जाता है. इस दिन की विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
भूत - प्रेत के शरीर की रचना में 25 प्रतिशत फिजिकल एटम (physical atom) और 75 प्रतिशत ईथरिक एटम ((etheric atoms) होता है. वहीं पितृ शरीर के निर्माण में 25 प्रतिशत ईथरिक एटम और 75 प्रतिशत एस्ट्रल एटम होता है. अगर ईथरिक एटम (etheric atoms) सघन हो जाए तो प्रेतों का छायाचित्र यानी तस्वीर (Photo of ghosts) लिया जा सकता है और इसी प्रकार यदि एस्ट्रल एटम सघन हो जाए तो पितरों का भी छायाचित्र लिया जा सकता है.
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को मन का कारक माना गया है. अमावस की रात को चन्द्रमा दिखाई नहीं देता. ऐसे में जो लोग अति भावुक होते हैं, या जिनका दिल कमजोर होता है वैसे लोगों पर इस दिन का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है. लड़कियां, महिलाएं मन से बहुत ही भावुक होती हैं. ऐसे में अमावस को हमारे शरीर में हलचल अधिक बढ़ जाती है. जबकि देखा गया है कि जिस व्यक्ति में नकारात्मक सोच होता है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में आसानी से ले लेती है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अमावस्या की रात को भूत-प्रेत अधिक सक्रिय रहते हैं, तो पूर्णिमा की रात को लोगों के मन में आत्महत्या के विचार आते हैं.
अमावस्या की रात तंत्र साधना के लिए बहुत खास मानी गई है. अघोरी और तांत्रिक अमावस्या की रात श्मशान घाट में साधना करते हैं और अपनी शक्तियों को जागृत करते हैं.
इस कारण से अमावस्या की रात निगेटिव एनर्जी सक्रिय हो जाती हैं. इस कारण श्मशान घाट, कब्रिस्तान या सुनसान जगहों के आसपास से गुजरने से बचना चाहिए.
- चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. अमावस्या और पूर्णिमा को चंद्रमा की स्थिति हमारे मन पर गहरा प्रभाव डालती है. यही वजह है कि इन मौकों पर लोग ज्यादा भावुक रहते हैं या जल्दी उग्र हो जाते हैं.
खासतौर पर जो लोग मानसिक तौर पर कमजोर होते है उन्हें अमावस्या की रात ज्यादा बुरे विचार आते हैं. इस कारण वे गलत काम कर बैठते हैं या खुद को नुकसान पहुंचा बैठते हैं.
ऐसी स्थिति से बचने के लिए इस दिन हनुमान चालीसा पढ़ें. घर में पूजा पाठ कराने चाहिए इससे आपके घर और मन में साकारात्मकता आएगी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)