गर्दन कटने से ज्यादा शेखचिल्ली को थी बेगम के पैर चूमने की चिंता
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गर्दन कटने से ज्यादा शेखचिल्ली को थी बेगम के पैर चूमने की चिंता

(Sheikh Chilli) शेखचिल्ली याद है आपको, जी हां वही किरदार जो हमेशा सपनों में योजनाएं बनाता और उसी में खोया रहता था. ये सपने वाकेई में बहुत मजेदार होते थे. तो चलिए आज बताते हैं आपको शेखचिल्ली की बेगम के पैरों को चूमने की कहानी...

 

गर्दन कटने से ज्यादा शेखचिल्ली को थी बेगम के पैर चूमने की चिंता

Bed Time Story : बहुत पुरानी बात है भारत में विदेशी हमले हो रहे थे. पानीपत, रोहतक और दिल्ली पर खतरा मंडरा रहा था. एक शहर था झज्जर जहां के नवाब वहां तालाब की मरम्मत करा रहे थे.

तभी खबर आई की विदेशियों ने हमला कर दिया है. ऐसे में तुरंत नवाब ने आदेश जारी किया कि अगर झज्जर में दुश्मन घुसे तो हमें तैयार रहना है. कमजोर, बीमारी, महिलाएं और बच्चों को जंगल में छिप जाना है और सैनिकों की मदद करनी है.

खबर सुनते ही झज्जर में ही रहने वाले शेखचिल्ली की हालत खस्ता हो गयी. शेखचिल्ली को अपनी पत्नी की चिंता सता रही थी. जो थोड़ी मोटी थी. शेखचिल्ली को लग रहा था कि उसकी बेगम कैसे जंगल तक पहुंच पायेगी.

शेखचिल्ली ने सोचा कि काश उसके पास उड़ने वाला कालीन होता तो एक ही पल में बेगम को सुरक्षित जंगल ले जाता. फिर शेखचिल्ली ने खुद से कहा- अरे मेरे पास को घोड़ा है, लेकिन अगर वो भी जंगल तक पहुंचने से पहले ही बेगम के वजन से मर गया तो मेरी बेगम दुश्मनों के हाथ लग जाएगी.

शेखचिल्ली खुद से बातें करते कहता है कि बेगम के पिता अच्छे तलवारबाज थे, अगर मेरी बेगम को तलवार चलानी आती तो अच्छा होता, लेकिन उसे तो सिर्फ जुबान चलानी आती है.

लेकिन अगर बेगम को तलवारबाजी आती भी तो तलवार कहा से आती. क्या अल्लाह मियां तलवार आसमान से टपका देते, कि लो शेखचिल्ली बेगम को तलवार दो.

फिर चलो ऐसा हो भी जाए तो बेगम सच में दुश्मन का गला काट डालेगी. दुश्मन की सेना डर के मारे भाग जाएगी. ये सब सुनकर फिर नवाब पूछेंगे की वो कौन है जिसने दुश्मनों को भगा दिया.

जब नवाब के सैनिक उन्हे बताएंगे की एक मोटी औरत ने ये कारनामा किया है, तो नवाब बेगम को सम्मान के साथ दरबार में बुलाएंगे. या फिर ये भी हो सकता है कि खुद नवाब उस मोटी औरत की तलाश में निकले.

और खून से लथपथ तलवार के साथ बेगम को देख अपना सिर झुकाकर, उसे दरबार में सम्मान के साथ ले जाकर उसके पैरों को चूमें. हो सकता है सारे दरबारी भी नवाब की तरफ बेगम के पैरों को चूमें. लेकिन मैं नहीं..मैं भला अपनी बेगम के पैर कैसे चूम सकता हूं.

हो सकता है नवाब साहब मेरी इस गु्स्ताखी के लिए मुझे जेल में डाल दें..शेखचिल्ली अभी सपने बुन ही रखा था कि जोर से किसी के गिरने की आवाज आती है.

जब शेखचिल्ली की आंख खुलती हैं, तो वो सीधे अपनी बेगम के पैरों पर गिरा होता है. जिसके हाथ में चाकू था और वो सब्जी काट रखी थी. बेगम, शेखचिल्ली  से करती है कि अगर थोड़ा सा और पास गिरते तो चाकू से तुम्हारी गर्दन धड़ से अलग हो जाती ...

लेकिन शेखचिल्ली अभी भी सपनों की बुन रहा था, अब उसे दुश्मन के हमले का डर नहीं था. उसे डर था कि उसे अपनी बेगम के पैर चूमनें पड़ेंगे ?

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