अकबर बीरबल की कहानियां याद हैं आपको. जिसमें बीरबल हमेशा अपनी बुद्धि से हर चुनौती को पार कर जाता था. किताबों और टीवी पर किसी जमानें में पढ़ी और देखी जाने वाली ये कहानियां अगर आपके जहन में धुंधली से हो गयी हैं तो चलिए आज एक कहानी आपके लिए, शायद आपकी बचपन की यादें ताजा हो जाएं...
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Bed Time Story : बहुत पुरानी बात है, मुगल दरबार में अकबर बादशाह बैठे थे. तभी एक किसान दरबार में आया और न्याय मांगने लगा. किसान चीख चीख कर कह रहा था कि मुझे इंसाफ चाहिए. जिसपर बादशाह अकबर ने पूछा हुआ क्या है ?
किसान ने बताया कि बादशाह में एक गरीब किसान हूं. कुछ वक्त पहले मेरी बीवी की मौत हो गयी और अब मैं अकेला हूं. मेरे मन कहीं नहीं लगता है. बीपी की याद आती रहती है.
किसान ने आगे कहां कि परेशान होकर मैं काजी साहब से मदद मांगने पहुंचा तो उन्होनें मुझे मन की शांति के लिए दरगाह में जाने को कहा. मैं दरगाह जाने को तैयार था लेकिन फिर मुझे पूरी जिंदगी की कमाई मेरे सोने की सिक्कों की चिंता होने लगी. अगर सिक्के चोरी हो गये तो मैं क्या करूंगा.
मैंने ये बात काजी को बताई और वो तुंरत सिक्कों की सुरक्षा को तैयार हो गये. बोलें की तुम्हारे सिक्के मेरे पास सुरक्षित हैं, तुम दरगाह जाऊं और इबादत करों. जब वापस लौटोगें तो सिक्के वापस ले जाना. मैंने काजी साहब की बात मानी और उनकी बताई थैली में सिक्के की थैली डाल दी.काजी के कहने पर मैंने थैली पर मुहर भी लगा दी. लेकिन...
किसान के रुकने पर बादशाह ने पूरी बात बताने को कहा. किसान ने कहा कि जब मैं वापस लौटा तो काजी साहब ने थैली वापस तो दी लेकिन उसमें सोने के सिक्के की जगह पत्थर थे, जब मैंने पूछा तो काजी साहब ने मुझे मार मार कर वहां से भगा दिया.
किसान की बात सुनकर बादशाह अकबर ने बीरबल से मामला सुलझाने को कहा. बीरबल ने किसान के हाथों से थैली ली और फिर उसके अंदर देखकर, दो दिन का समय मांगा.
बीरबल ने एक फटा कुर्ता लिया और अपने सेवक से अच्छे से रफू करवा कर लाने को कहा. सेवक जब कुर्ता रफू करा कर लाया तो वो ऐसा लग रहा था मानों की कुर्ता कभी फटा ही ना हो. बीरबल ने रफ्फू करने वाले दर्जी को बुलाया और उससे कुछ बात कर उसे भेज दिया.
अगले दिन बीरबल दरबार पहुंचा. दरबार में पीड़ित किसान, हाजीसाहब को भी बुलाया गया था. बीरबल ने उस दर्जी को भी बुला लिया. लेकिन दर्जी का नाम सुनते ही हाजी साहब के पसीने छूटने लगे.
बीरबल ने हाजीसाहब से पूछा कि क्या कुछ सिलने को दिया था इस दर्जी को. हाजीसाहब कुछ नहीं बोलें लेकिन दर्जी ने कहां कि हां कुछ महीने पहले एक सिक्के वाली थैली मुझे सिलने को दी थी.
दर्जी की बात सुनकर हाजीसाहब जोर जोर से चिल्लाने लगे. मुझे माफ कर दो मैं लालची हो गया था. बीरबल ने मामला सुलझा लिया था.बादशाह ने हाजी साहब को एक साल की सजा दी और किसान को उसकी सोने के सिक्के वापस मिल गये.