Bhadrapada Purnima 2023 : भाद्रपद पूर्णिमा 28 सितंबर 2023 को शाम 06:51 बजे शुरू हो चुकी है और आज 29 सितंबर 2023 को शाम 03:29 बजे तक रहेगी. पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए ये तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी गयी है. आज भाद्रपद पूर्णिमा पर वृद्धि योग बन रहा है. जिसे सर्वोत्तम योग बताया गया है. इस योग में किये काम में कोई बाधा कभी नहीं आती और पितरों के आशीर्वाद से सफलता का गांरटी बढ़ जाती है. वृद्धि योग का समय 08:02 बजे तक है.
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Bhadrapada Purnima 2023 : भाद्रपद पूर्णिमा 28 सितंबर 2023 को शाम 06:51 बजे शुरू हो चुकी है और आज 29 सितंबर 2023 को शाम 03:29 बजे तक रहेगी. पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए ये तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी गयी है. आज भाद्रपद पूर्णिमा पर वृद्धि योग बन रहा है. जिसे सर्वोत्तम योग बताया गया है. इस योग में किये काम में कोई बाधा कभी नहीं आती और पितरों के आशीर्वाद से सफलता का गांरटी बढ़ जाती है. वृद्धि योग का समय 08:02 बजे तक है.
भाद्रपद पूर्णिमा का क्या है महत्व
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन, भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ किया जाता है और ऐसा माना जाता है कि भगवान इस दिन यह व्रत भी रखते हैं. सत्यनारायण कथा के पाठ से व्यक्ति को धन-धान्य की कमी जल्दी ही दूर हो जाती है. इस पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से जातकों को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है. इस दिन उमा-महेश्वर व्रत रखा जाता है. इस व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने की भी परंपरा है. इसके अलावा इस दिन दान और स्नान की भी परंपरा है.
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.साथ ही साफ कपड़े पहनें और किसी मंदिर में जाकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें और भगवान सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित करें. पूजा के समय भगवान को पंचामृत, आटा और सूजी अर्पित करें. फिर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें. कथा पूरी होने पर भगवान सत्यनारायण, मां लक्ष्मी, भगवान शिव और मां पार्वती की आरती करें. आरती पूरी होने पर प्रसाद सभी को बांट दें।रात को फल खाकर और सुबह दान देकर व्रत खोलें.
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा एक बार भगवान शंकर से मिलकर लौट रहे थे तो रास्ते में उनकी मुलाकात भगवान विष्णु से हुई. महर्षि दुर्वाशा ने भगवान से कहा कि वह भगवान शिव से मिलकर लौट रहे हैं और फिर उन्होंने विष्णु जी को एक बिल्वपत्र की माला भेंट की. लेकिन, भगवान विष्णु ने माला पहनने के बजाय गरुड़ को दे दी. जो महर्षि दुर्वाशा को पसंद नहीं आया और वे इससे बहुत क्रोधित हो गये. गुस्से में आकर महर्षि ने विष्णु जी को श्राप देते हुए कहा, 'तुम्हें खुद पर बहुत ज्यादा घमंड है और मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम्हारे सारे सुख खत्म हो जाएंगे, पत्नी मां लक्ष्मी तुमसे अलग हो जाएंगी. साथ ही शेषनाग भी आपका साथ नहीं दे पाएंगे. इसके बाद भगवान विष्णु को अपनी गलती का एहसास हुआ और क्षमा मांगते हुए भगवान ने कहा कि वह दोबारा ऐसी गलती नहीं दोहराएंगे. इसके बाद दुर्वाशा महर्षि शांत हो गए लेकिन उन्होंने कहा कि मैं श्राप वापस नहीं ले सकता. उमा-महेश्वर का व्रत करने से ही सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. भगवान विष्णु ने अपनी सारी शक्तियाँ वापस पाने और पापों से मुक्ति पाने के लिए महर्षि द्वारा बताए अनुसार व्रत किया.
भाद्रपद पूर्णिमा पर अवश्य करें ये काम
इस दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें और फिर उसके अनुसार दान करें. यदि नदी में स्नान करना संभव नहीं है तो घर पर ही सामान्य नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर स्नान करें. तांबे के लोटे में अर्घ्य लें और सूर्य देव को अर्पित करें। इसके साथ ही 'ओम सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करें.पूर्णिमा या पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें और भगवान को दूध-दही चढ़ाएं. इसके साथ ही 'ओम नम: शिवाय:' मंत्र का जाप करें. इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, शमी धतूरा और आक का फूल चढ़ाना चाहिए.इसके अलावा पूर्णिमा के दिन हनुमान जी की पूजा करें इससे उचित लाभ मिलेगा. साथ ही हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें. अत्यंत फलदायी फल पाने के लिए भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा सुनें. इस दिन शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं। इसके अलावा, जरूरतमंद लोगों को अनाज और आवश्यक उत्पाद जैसी वस्तुएं दान करें.