Jaya Ekadashi Vrat 2024: कब रखा जाएगा जया एकादशी व्रत? जानिए इसका महत्व
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan2118373

Jaya Ekadashi Vrat 2024: कब रखा जाएगा जया एकादशी व्रत? जानिए इसका महत्व

Jaya Ekadashi Vrat 2024:  हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत-पूजन का काफी महत्व है. ग्यारस के व्रत का राजस्थान के पाल बालाजी ज्योति संस्थान जयपुर, जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने तिथि, महत्व, टाइम को लेकर विशेष बाते बताई हैं. 

Jaya Ekadashi Vrat 2024: कब रखा जाएगा जया एकादशी व्रत? जानिए इसका महत्व

Jaya Ekadashi Vrat 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि के व्रत-पूजन का सर्वाधिक महत्व बताया गया है. पाल बालाजी ज्योति संस्थान जयपुर, जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की जया एकादशी तिथि 19 फरवरी को सुबह 08:49 मिनट से शुरू होगी. 

साथ ही इसका समापन अगले दिन 20 फरवरी, सुबह 09:55 मिनट पर होगा. सनातन धर्म में उदयातिथि का महत्व है इसलिए एकादशी व्रत मंगलवार 20 फरवरी को रखा जाएगा. पुराणों में माघ महीना को बड़ा ही पुण्यदायी कहा गया है. इस महीने में स्नान, दान, व्रत का फल अन्य महीनों से अधिक बताया गया है. 

जया एकादशी व्रत की महिमा 
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों में माघ महीना को बड़ा ही पुण्यदायी कहा गया है. इस महीने में स्नान, दान, व्रत का फल अन्य महीनों से अधिक बताया गया है. माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को 'जया एकादशी' कहते हैं. यह एकादशी बहुत ही पुण्यदायी है, इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को नीच योनि से मुक्ति मिलती है. पदम् पुराण के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी तिथि का महत्त्व बताते हुए कहा है कि जया एकादशी प्राणी के इस जन्म एवं पूर्व जन्म के समस्त पापों का नाश करने वाली उत्तम तिथि है.

इतना ही नहीं, यह ब्रह्मह्त्या जैसे जघन्य पाप तथा पिशाचत्व का भी विनाश करने वाली है. शास्त्रों के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से प्राणी को कभी भी पिशाच या प्रेत योनि में नहीं जाना पड़ता और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि जिसने 'जया एकादशी' का व्रत किया है, उसने सब प्रकार के दान दे दिए और सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया. इस व्रत को करने से व्रती को अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिलता है. यह भी मान्यता है कि जो साधक इस व्रत को पूरे श्रद्धाभाव से करता है, उसे भूत-प्रेत और पिशाच योनि की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती हैं. 

पूजाविधि 
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि एकादशी के दिन व्रती को प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्न्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. साधक को इस दिन सात्विक रहकर भगवान विष्णु की मूर्ति को शंख के जल से 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान आदि कराकर वस्त्र,चन्दन,जनेऊ ,गंध,अक्षत, पुष्प, तिल, धूप-दीप, नैवैद्य ,ऋतुफल, पान, नारियल,आदि अर्पित करके कपूर से आरती उतारनी चाहिए. सात्विक भोजन करें एवं तामसी पदार्थों के सेवन से दूर रहें. एकादशी स्वयं विष्णुप्रिया है इसलिए इस दिन जप-तप, पूजा-पाठ करने से प्राणी जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु का सानिध्य प्राप्त कर लेता है. 

व्रत के नियम 
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि व्रत से पूर्व यानि दशमी तिथि के दिन से तामसिक भोजन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन तुलसी दल से श्री हरि का पूजन करें लेकिन तुलसी दल एक दिन पूर्व तोड़कर रखें. व्रत के दिन भोजन में चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. 

व्रत रखने वाले व्यक्ति को क्रोध एवं दूसरे की बुराई करने से बचना चाहिए. किसी के बारे में कुछ भी गलत बोलना और सोचना नहीं चाहिए. व्रत रखने वालों को व्रत वाले दिन नाखून, बाल, दाढ़ी आदि नहीं काटने चाहिए एवं स्त्रियों को इस दिन बाल नहीं धोने चाहिए.  

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास 

यह भी पढ़ेंः Somwar Upay: हर सोमवार को करें ये उपाय, देवों के देव महादेव की बरसेंगी कृपा

यह भी पढ़ेंः एशिया के सबसे स्वच्छ गांव पहुंचे राजस्थान के 25 गांव के मुखिया, लौटकर लागू करेंगे ये बेहतरीन मॉडल

Trending news