Shani Jayanti 2024: आज दुर्लभ योग में शनि जयंती, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

Shani Jayanti 2024 : शनि जयंती को शनिदेव के जन्म का दिन माना जाता है. हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती होती है. इस दिन की गयी पूजा से शनि दोष के साथ ही साढ़े साती, ढैय्या और शनि महादशा के बुरे परिणामों से मुक्ति मिलती है.

Shani Jayanti 2024: आज दुर्लभ योग में शनि जयंती, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

Shani Jayanti 2024 : शनि जयंती को शनिदेव के जन्म का दिन माना जाता है. हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती होती है. इस दिन की गयी पूजा से शनि दोष के साथ ही साढ़े साती, ढैय्या और शनि महादशा के बुरे परिणामों से मुक्ति मिलती है.
 

शनि जयंती पर ज्योतिषीय उपाय और मुहूर्त (Shani Jayanti 2024 Muhurat)
आज 6 जून को शाम 6 बजकर 6 मिनट तक शनि जयंती रहेगी. आज शनि जयंती पर गजकेसरी, लक्ष्मी नारायण, बुधादित्य योग के साथ ही मालव्य राजयोग का भी निर्माण हो रहा है. जिससे आज के दिन की गयी पूजा से शनि देव विशेष रूप से प्रसन्न होंगे और सभी कष्टों सें मुक्ति मिल सकती है. ये भी पढ़ें : जाट के खेत के नीचे मिली शनिदेव की मूर्ति, बना राजस्थान का सबसे बड़ा शनि मंदिर बना
 

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शनि जयंती पर कैसे करें पूजा (Shani Jayanti 2024 Puja Vidhi)
आज मन और कर्म से स्वच्छ होकर शनि मंदिर में सरसों का तेल अर्पित जरूर करें. शनिदेव को नीले फूल अर्पित कर शनि स्त्रोत का पाठ करना ना भूलें. मंदिर शनि चालीसा या शनि मंत्र के साथ ही पूजा की समाप्ति पर शनि आरती कर सरसों का दीपक जलाएं. ये भी पढ़ें : शनिवार को लौंग के उपाय, बदलकर रख देंगे आपका नसीब
 

शनि जयंती पर बीज मंत्र (Shani Mantra)
शनि जयंती पर शनि देव की बीज मंत्र का पाठ जरूर करें जो इस प्रकार है
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
सामान्य मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः।
 

शनि महामंत्र (Shani Mahamantra)
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। 
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

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शनि का वैदिक मंत्र (Shani Vedic Mantra)
ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

शनि गायत्री मंत्र (Shani Gayatri Mantra)
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

तांत्रिक शनि मंत्र (Shani Tantric Mantra)
 ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

शनि दोष निवारण मंत्र (Shani dosh nivaran Mantra)
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।

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