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Kota News : कोटा जिले के रामगंजमंडी उपखंड में काला सोना कहे जाने वाली अफीम की फसल खेतो में लहराने लगी है. जिसके फूल खेतो की ओर राहगीरों को आकर्षित करने वाले होते है. क्षेत्र में न्यूतम स्तर पर अफीम की फसल 30 गांवो के 296 पट्टाधारी किसान बुआई कर खेती कर रहे है. कुछ ही दिनों बाद अफीम के डोडे सूखने के बाद किसानों की चिंता बढ़ने लगेंगी. जिससे किसानों को आवारा जानवरो, चोरों से अफीम को बचाने के लिए कवायत शुरू कर दी है.
वही अब किसानों की रातों भी फसल की चौकीदारी करते हुए खेतो में ही गुजरने वाली है. हालांकि किसानों को अफीम की पैदावार बढ़ाने के लिए और रखरखाव करने के लिए समय समय पर नारकोटिक्स टीम मौका मुआयना करने पहुंची है. साथ ही स्थानीय पुलिस भी अफीम फसल खेती को लेकर किसानों से संपर्क में बनी हुई है. किसानों ने फिर भी अफीम की खेती को असुरक्षित बताते हुए लाइसेंस धारी बंदूक की मांग की है. वही अफीम की खेती में नारकोटिक्स विभाग द्वारा कम दाम देने पर कीमत में बढ़ोतरी की मांग की है.
क्षेत्र में सबसे ज्यादा अफीम की खेती बड़ोदिया कलां और न्यामतखेडी में होती है. जिसमे किसान अपने ही खेत में अपना आशियाना बना कर रहते है. ताकि फसल की देखरेख अच्छे से हो सके. सालेडा खुर्द में तीन पट्टाधारी किसान है. जिन्हे 30 आरी अफीम फसल बुआई अधिकृत की हुई है. किसानों ने अफीम की सुरक्षा के लिए लाइसेंस बंदूक और दाम बढ़ाने की भी मांग की है.
2 महीने बाद डोडा सुख जाने पर किसान की चिंता बढ़ने लगेंगी. क्योंकि अफीम की फसल को जंगली सुअर,पक्षी नष्ट करते है. जिसको लेकर जाली बंधी की व्यवस्था भी की जायेंगी. इसी के साथ फसल की सुरक्षा की दृष्टि से रात रात भर निगरानी भी जरूरी है. क्योंकि अफीम की फसल पकने के बाद चोरों का आतंक भी बढ़ जाता है. आयदिन खेतो में चोर और नशेड़ी आने लग जाते है. जिससे बचने के लिए सरकार को किसानों को लाइसेंस सुदा बंदूक देनी चाहिए. ताकि विकट परिस्थितियों में किसान खुद की और अफीम की फसल की सुरक्षा कर सके.