Rajasthan के इस जिले में डेरा लगाए बैठा रावण का कुनबा, जानिए क्या है खास
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Rajasthan के इस जिले में डेरा लगाए बैठा रावण का कुनबा, जानिए क्या है खास

झालावाड़ (Jhalawar news) जिले के झालरापाटन शहर के दशहरा मैदान में रावण का पूरा परिवार ही दरबार लगाए बैठा है. 

रावण का पूरा परिवार ही दरबार लगाए बैठा है.

Jhalawar: विजयादशमी (Dussehra) पर्व आते ही रावण के पुतले के दहन की उत्सुकता ही सभी के दिमाग में आती है लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां रावण (Ravana) का पूरा कुनबा ही दरबार लगा कर बैठा है. रावण परिवार के ये स्थाई बने विशालकाय कंक्रीट सीमेंट के आकर्षक पुतले जिनमें रावण, मंदोदरी, मारीच, सूर्पनखा, द्वारपाल और जमीन पर लेटा कुंभकरण का विशालकाय पुतला वहां से गुजरने वाले राहगीरो को बरबस ही देखने को मजबूर कर देता हैं.

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झालावाड़ (Jhalawar news) जिले के झालरापाटन शहर के दशहरा मैदान में रावण का पूरा परिवार ही दरबार लगाए बैठा है. अन्य शहरों में तो कागज के पुतलो को ही बनाकर उनका दहन किया जाता है लेकिन यहां तो रावण सहित उसका पूरा कुनबा ही दरबार लगाए बैठा है, जो वर्ष भर यही जमा रहता है. यह सभी यहां रियासत काल से ही स्थापित है.

रावण के कुनबे का निर्माण
पर्यटन विकास समिति सदस्य ओम पाठक ने बताया कि झालावाड़ रियासत के प्रथम महाराज राणा मदनसिंह झाला ने झालरापाटन मेला मैदान में रावण के कुनबे का निर्माण कराया तब से यहां दशहरा मनाया जाता है. पहले मिट्टी के पुतले के नाभि में एक लाल रंग से भरा कलश रखकर उसको तीर मारा जाता था और रावण वध की परंपरा का निर्वहन किया जाता था. 

यह दरबार वर्षभर लगा रहता है
इसके बाद 1920 में राणा भवानीसिंह ने रावण परिवार का जीर्णोद्धार कराया और मिट्टी और पत्थर से पूरे परिवार का निर्माण कराया. इसके बाद से ही यहां रावण परिवार के दरबार ने स्थाई रूप ले लिया और रावण का यह दरबार वर्षभर लगा रहता है. समय के साथ रावण दहन कार्यक्रम की जिम्मेदारी नगर पालिका ने ली तब से उसने सीमेंट कंक्रीट से पुतलों को मजबूती दी और प्रतिवर्ष रंग रोगन कर इन्हें और भी आकर्षक कर दिया जाता है. यहां से गुजरने वाले राहगीरों को निहारने को मजबूर कर देते हैं.

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बच्चों को बुरी नजर से बचाता है
झालावाड़ जिले के झालरापाटन शहर के दशहरा मैदान में लगे रावण दरबार के प्रति स्थानीय नागरिकों की अजीब मान्यताएं भी है. कुछ बुजुर्गों ने बताया कि जब बच्चों को बुरी नजर लग जाती है तो वे लोग दशहरा मैदान के रावण दरबार पहुंचते हैं और वहां बच्चों का शीश नवाते हैं और वहां की मिट्टी सिर पर लगा देते हैं. इससे बच्चों की बुरी नजर उतर जाती है. बहरहाल इसे अब अंधविश्वास कहें या मान्यता लेकिन झालरापाटन शहर का यह रावण दरबार हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है.

Reporter- Mahesh Parihar 

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