Kota News: प्रदेश महामंत्री एवं रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर ने स्वायत्त शासन विभाग के अफसरों और UDH मंत्री पर स्लज ट्रीटमेंट प्लांट में 900 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगाए हैं.
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Kota: प्रदेश महामंत्री एवं रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर ने स्वायत्त शासन विभाग के अफसरों और UDH मंत्री पर स्लज ट्रीटमेंट प्लांट में 900 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगाए हैं. दिलावर ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत प्रदेश में स्लज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहें है जिनमे अधिकारियों द्वारा बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है.
दिलावर ने इस घोटाले के संबंध में प्रेस वार्ता कर बताया कि अन्य राज्यों में बनाये गये फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट की लागत से दस गुना अधिक राशि में राजस्थान प्रदेश में फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बनाये जा रहे हैं. दिलावर ने अन्य राज्यों के तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि प्रदेश में 5 केएलडी फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट को 6.77 करोड में बनाया जा रहा है. जबकि महाराष्ट्र में यही प्लांट 11.20 लाख में बनाया गया है.
फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का नहीं हुआ निर्माण
इसी प्रकार 35 केएलडी फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट 12.32 करोड रूपये में बनाया जा रहा है. जबकि मध्यप्रदेश में 50 केएलडी फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट की लागत 66.50 लाख है. महाराष्ट्र 20 केएलडी फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट की लागत 27.00 लाख है, वहीं राजस्थान में 9.47 करोड में बनाया जा रहा है.
महाराष्ट्र में 15 केएलडी फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट की लागत 23.10 लाख है, वहीं राजस्थान में 9.19 करोड रूपये है इसी प्रकार महाराष्ट्र में 10 केएलडी फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट की लागत 17.10 लाख है, वहीं राजस्थान में 7.13 करोड रूपये है. दिलावर ने बताया कि पूरे देश में राजस्थान के अलावा किसी भी राज्य में इतनी अधिक राशि में फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण नहीं हुआ है.
विधायक दिलावर ने लगाए ये आरोप
दिलावर ने यह भी बताया कि मनमाने ढंग से टेण्डर देने के अलावा, अधिकारियों ने लागत दर बढाने के लिये जानबूझ कर अर्थात भ्रष्ट्र आचरण के द्वारा लागत दरों को बढा चढाकर अधिकारियों द्वारा किये गये टेण्डर में भी ऐसी शर्त रखी गई जिससे केवल दो फर्मे ही क्वालीफाई हो पाई. इतना ही नहीं पूर्व में भी सभी टेण्डर इन दोनों फर्मो को बांट दिये गये थे और अधिकारियों व विभाग के मुखिया द्वारा इन ठेकेदारों की मिलीभगत से जो काम लगभग 200 करोड की लागत में होना था उसे 1100 करोड से अधिक की लागत बताकर कार्यादेश जारी कर दिये गये.
विभाग द्वारा 100 फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट की लागत 124.85 करोड आंकी गई थी यह आंकलन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स, सीडीडी सोसायटी द्वारा प्रदेश सरकार एवं नेशनल फेकल स्लज एण्ड सेप्टेज अलाइन्स के सहयोग से आंकलन किया गया था. लेकिन 900 करोड रूपये से अधिक सरकारी धन का दुरूपयोग कर जेबें भरी गई. इतना ही नहीं अनुचित लाभ देने तथा प्राप्त करने के लिये इन फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट में ऐसे स्स्पेसिफिकेशन लिये गये जिनकी कोई आवश्यकता नहीं थी.
गाईड लाईन के उलट पैसों का हुआ बंदरबांट
दिलावर ने यह भी बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2018 में फेकल स्लज सेप्टेज मैनेजमेंट की गाईड लाईन जारी की थी, जिसमें यह स्पष्ट रूप से प्रावधित किया गया था कि क्लस्टरिंग अप्रोच अपनाई जायेगी. जिससे 20 किलोमीटर की त्रिज्जा में आने वाले शहरों के लिये केवल एक प्लांट ही बनाया जावेगा जिससे अनावश्यक सरकारी धन की बर्बादी ना होगी. लेकिन गाईड लाईन के उलट विभाग के मुखिया एवं आलाधिकारियों ने घोर अवहेलना की जिससे 900 करोड रूपये की बंदरबांट कर अपनी जेबें भरी गई.
खुद दर्ज कराएंगे FIR- दिलावर
दिलावर ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करते हुए कहा है कि स्वायत्त शासन विभाग में हुए 900 करोड के घोटाले की जांच सीबीआई और ईडी से करवाई जाये. साथ ही दोषियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाकर लूट की राशि 900 करोड रूपये की बसूली की जावे और यदि सात दिवस मे एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई तो वे स्वयं इन सभी के विरूद्ध पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाने को मजबूर होंगे.
Reporter-KK Sharma
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