Kota News: कहते हैं हाथी खरीदना आसान होता है, पर उनका रखा रखाव करना बड़ा मुश्किल. ठीक यही स्थिति सरकारी अस्पतालों में देखने को मिल रही है.
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Kota News: कहते हैं हाथी खरीदना आसान होता है, पर उनका रखा रखाव करना बड़ा मुश्किल. ठीक यही स्थिति सरकारी अस्पतालों में देखने को मिल रही है. कोविड के दौरान मरीजों की ऑक्सीजन की आवश्यकता को देखते हुए सरकार ने पीएम केयर फंड से सरकारी अस्पतालों में करोंड़ों रूपये खर्च कर ऑक्सीजन प्लांट लगाए थे. ताकि ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में किसी भी मरीज की मौत न हो और इन ऑक्सीजन प्लांट में बनने वाली ऑक्सीजन सीधे मरीजों को मिल सके.
लेकिन आज कोटा जिले में लगे अधिकतर ऑक्सीजन प्लांट तकनीकी खराबी के चलते बन्द पड़े हुए हैं. सरकारी कंपनियों को लाभ देने के लिए निजी कंपनियों से टेंडर कर ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे जा रहे है. कोविड के दौरान केंद्र व राज्य सरकारों ने मिलकर सरकारी अस्पतालो में ऑक्सीजन की आवश्यकता को देखते हुए करोंड़ों रूपये खर्च कर ऑक्सीजन प्लांट का निर्माण कराया था. जिसके तहत डीआरडीओ ने साल 2021 में एमबीएस अस्पताल में एक लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट तथा 8 जनरेशन ऑक्सीजन प्लांट सहित 9 प्लांट तथा जेकेलोन अस्पताल में 4 ऑक्सीजन प्लांट पीएम केयर फंड से लगे थे. यह प्लांट में अलग अलग कैपिसिटी के हैं.
जिसमें 500 एलएमपी में 100 सिलेंडर की कैपिसिटी तथा 1000 एलएमपी के प्लांट में 200 सिलेंडर उत्पादन की कैपिसिटी थी. कंपनी द्वारा 3 साल की गारंटी पर ये प्लांट लगाए गए थे जिसमें प्लांट में किसी भी प्रकार की तकनीकी खराबी होने पर मरम्मत व देखरेख की जिम्मेदारी कंपनी की थी. कंपनी की समयावधि समाप्त होने पर अधिकतर ऑक्सीजन प्लांट तकनीकी खराबी से बन्द पड़ गए. इनमें कुछ प्लांटो में कम्प्रेशर खराब है तो ओर कुछ में ऑयल आदि सम्बन्धित समस्या आने के कारण बन्द है.
महाराव भीमसिंह अस्पताल में भर्ती मरीजो को प्रत्येक दिन 140 से 150 सिलेंडर की आवश्यकता पड़ती है. एमबीएस अस्पताल परिसर में दो स्थानों पर जिसमे कॉटेज वार्ड टेलीफोन एक्सचेंज के पास 4 ऑक्सीजन प्लांट तथा दूसरा केंसर वार्ड के एक लिकवेड ऑक्सीजन प्लांट व 4 जनरेशन प्लांट है. वहीं 4 प्लांट जेकेलोन अस्पताल लगे हुए है, जो 6-7 महीनों से तकनीकी खराबी की चलते बन्द होने से इनमें ऑक्सीजन का उत्पादन बन्द पड़ा हुआ है. अस्पताल प्रशासन ने इन खामियों को दूर करने के स्थान पर टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए जा रहे है. एमबीएस अस्पताल में अगस्त माह से बालाजी ट्रेडिंग कंपनी को टेंडर जारी किया था, इससे पहले दूसरी कंपनी के ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाए जा रहे थे.
जानकारी के अनुसार एमबीएस अस्पताल के साथ अन्य सरकारी अस्पताल जिनमे न्यू मेडिकल कॉलेज, जेकेलोन अस्पताल जहाँ कोविड के दौरान प्लांट डाले गए थे सभी बन्द पड़े हुए है. यह प्लांट जयपुर की कंपनी द्वारा 3 साल की गारंटी पर लगाये गए थे. गारंटी परेड तक कंपनी द्वारा ही प्लांट का रख रखाव व प्लांट में आने वाली तकनीकी खराबी को ठीक किया जा रहा था. लेकिन साल 2023 में कंपनी का टेंडर पूरा होने पर इनके रकेह रखाव की जिम्मेदारी संबंधित अस्पताल प्रशासन को करनी थी. इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन इन ऑक्सीजन प्लांट के रखरखाव पर किसी प्रकार का ध्यान नही दिया. जबकि ऑक्सीजन प्लांट के इंचार्ज द्वरा कई बार अस्पताल अधीक्षक को अवगत कराया गया लेकिन इन अस्पताल प्रशासन ने इन खामियों को दुरुस्त करने के संबंध में कोई उचित कार्रवाई नहीं की.
चिकित्सा विभाग व अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में है. जब सरकार ने आमजन की सुविधा के लिए करोड़ो रूपये खर्च ये ऑक्सीजन प्लांट लगाए तो आज इन अस्पतालों में महंगे दामो पर निजी कंपनियों से ऑक्सीजन सिलेंडर क्यों मंगवाए जा रहे है. एमबीएस अस्पताल परिसर में लगे ऑक्सीजन प्लांट 6-7 माह से तकनीकी खराबी के कारण बन्द है. अस्पताल अधीक्षक को इस संबंध के अवगत करा रखा है. यह खामियां दूर होते ही प्लांट फिर से चालू हो जाएगा. वर्तमान में बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर रखी है.
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