कोरोना (Coronavirus) की पहली लहर के बीच जब हमने एक-एक मास्क और पीपीई किट के क्राइसिस को देखा, उस बीच कोटा की कुछ महिलाओं ने मिलकर कुछ ऐसा कर दिखाया जो आज हर किसी के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं.
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Kota: कोरोना (Coronavirus) के शुरुआती दौर में जब हर तरफ संकट का दौर था. लोगों के सामने चुनौतियां कम नहीं थी, कोरोना की पहली लहर के बीच जब हमने एक-एक मास्क और पीपीई किट के क्राइसिस को देखा. उस बीच कोटा के अलग-अलग स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने एक टास्क मास्क से लेकर पीपीई किट, डॉक्टर गाउन, डेड बॉडी कवर तैयार करने की शुरुआत की. इसकी शुरुआत 500 रुपये से हुई थी जो आज करोड़ों के कारोबार में तब्दील हो गई है.
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राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत ये महिलाएं अपने-अपने स्वयं सहायता समूह चलाकर अपना और दूसरी महिलाओं को मजबूत बना रही हैं. कोरोना के समय में जहां कई परिवार बेरोजगार हुए, ऐसे परिवार भी इन स्वयं सहायता समूह से जुड़े और उन्हें आज बेहतर रोजगार मिल गया है. महिलाओं के इन समूह से मिलकर करीब 350 महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ चुकी हैं. इन समूहों को अलग-अलग जिलों की नगर पालिका और संस्थाओ से मास्क, पीपीई किट, फोल्डर, केप और टीसर्ट ऑर्डर के मुताबित सप्लाई का ऑर्डर आता है. 500 रुपये से शुरू हुआ ये सफर आज साढ़े 4 करोड़ के टर्नओवर में तब्दील होकर कई सैकड़ों महिलाओं के लिए रोजगार का जरिया बन गया है.
आत्म निर्भर महिला
महिलाओं ने अपने सिलाई के हुनर को आजमाया और शुरू कर दिया. शुरुआती दौर में जो सैम्पल बना रहे थे, उसमें उतनी फिनिशिंग भी नहीं थी लेकिन धीरे-धीरे जैसे-जैसे काम बढ़ता गया, हाथ में सफाई आती चली गई और आज कुल 350 महिलाओं का ग्रुप बन चूका है, जो बहुत मजबूत बन गया है. सभी महिलाएं आत्म स्वाबलंबी बन गई हैं, जो महिलाएं काम के लिए रोजगार तलाशती थी, आज वो खुद लोगों के लिए रोजगार का जरिया बनी हुई हैं.