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Loksabha Election: देश की सबसे बड़ी पंचायत और देश के सबसे बड़े चुनाव इस साल होने वाले हैं. देश का प्रत्येक राजनीतिक दल अपने हिसाब से आगामी चुनाव की तैयारी कर रहा है. इसे धार देने के लिए बीजेपी की बैठकें हो रही हैं अग्रिम संगठनों को मोर्चा संभालने के लिए तैयार किया जा रहा है, तो कांग्रेस ने भी नेता प्रतिपक्ष के लिए टीकाराम जूली के नाम का ऐलान करके अपने इरादे जता दिये हैं. ऐसे में आगामी चुनाव के लिए रण सज रहा है और इसके लिए योद्धा भी तैयार हो रहे हैं, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस चुनाव में दावा किस पार्टी का सचज साबित होगा?
राजस्थान में विधानसभा चुनाव को एक महीना ही हुआ है कि अब देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां हो रही हैं. इन तैयारियों के अलग-अलग पहलू हैं. एक पक्ष निर्वाचन आयोग और प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों का है. तो दूसरा पहलू राजनीतिक दलों का. आयोग की तैयारियों का सेट पैटर्न है लेकिन राजनीतिक पार्टयों के लिए हर चुनाव नया चुनाव होता है. प्रत्येक चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं, माहौल अलग होता है और कई बार तो नेता भी अलग ही तय करना पड़ता है. राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपनी चुनावी तैयारियों को धार देने में जुट गई हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस ने भी अपने विधायक दल का नेता तय कर दिया है. सोशल इन्जीनियरिंग को आजमाते हुए कांग्रेस ने पूर्व मन्त्री और तीन बार के विधायक टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष बनाया है. अब पीसीसी चीफ की कुर्सी पर गोविन्द डोटासरा तो नेता प्रतिपक्ष के रूप में कांग्रेस का पहला दलित चेहरा टीकाराम जूली रणनीतिक रूप से मोर्चा संभालेंगे. इसी तरह कांग्रेस में यूथ कांग्रेस में अभिमन्यु पूनिया और एनएसयूआई के विनोद जाखड़ के लिए भी नई ज़िम्मेदारी के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव होगा.
उधर बीजेपी भी किसी रूप में कांग्रेस से हल्की या कमज़ोर नहीं दिखती. भले ही विधानसभा में विधायकों की कार्यशाला रही हो लेकिन संगठन अपने तरीके से अपना काम करता दिख रहा है. बीजेपी ने अपने सभी अग्रिम मोर्चों की बैठक बुलाकर उन्हें टास्क देना शुरू कर दिया है. पिछले दिनों पीएम मोदी भी लोकसभा चुनाव के लिए लक्ष्य देकर गए हैं. पार्टी ने साफ कर दिया है कि 2024 के लोकसभा का रण बीजेपी के लिए फिलहाल सर्वोच्च प्राथमिकता है और मोदी को एक बार फिर पीएम की कुर्सी पर बिठाने के लिए बीजेपी का प्रत्येक नेता और कार्यकर्ता जुटा हुआ दिखता है. अब 22 जनवरी को राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद से तो बीजेपी इस काम में और तेज़ी लाने वाली है.
उधर राहुल गांधी भी अपनी न्याय यात्रा पर निकले हुए हैं. मणिपुर से शुरू हुई यात्रा को लोकसभा चुना से पहले पूरा करने का लक्ष्य है. लेकिन सवाल यह है कि एक तरफ़ यात्रा है और दूसरी तरफ चुनाव ऐसे में नज़र सभी की मंजिल पर ही टिकि दिख रही है. लेकिन यह मंजिल किसे मिलेगी? यही सबसे बड़ा सवाल है.
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