नागौर के जाट परिवार में शादी से पहले भरा अनोखा 1 करोड़ का मायरा, ओढ़ाई डॉलर वाली चुनरी
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नागौर के जाट परिवार में शादी से पहले भरा अनोखा 1 करोड़ का मायरा, ओढ़ाई डॉलर वाली चुनरी

Nagaur Unique Marriage : बहनों के मायरे भरने के लिए चर्चित नागौर जिले का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है. जिले के जायल तहसील के जायल खिंयाला गांव के मायरे के इतिहास को आज भी महिलाओं द्वारा गीतों में गाया जाता है. 

नागौर के जाट परिवार में शादी से पहले भरा अनोखा 1 करोड़ का मायरा, ओढ़ाई डॉलर वाली चुनरी

Nagaur Unique Marriage : बहनों के मायरे भरने के लिए चर्चित नागौर जिले का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है. जिले के जायल तहसील के जायल खिंयाला गांव के मायरे के इतिहास को आज भी महिलाओं द्वारा गीतों में गाया जाता है. इसी क्रम में जायल के राजोद गांव के दो भाइयों ने एक और इतिहास लिख दिया है. राजोद गांव के इन दो भाइयों ने ऐतिहासिक मायरा भरकर बहन भाई के अटूट रिश्ते को एक बार फिर इतिहास के पन्नो में दर्ज करा दिया, नागौर जिले की जायल तहसील के राजोद निवासी जाट परिवार के सतीश गोदारा और छोटे भाई मुकेश गोदारा ने सोनेली गांव में ब्याही गई.

अपनी बहन संतोष पत्नी मनीष पोटलिया के एक करोड़ रुपये का मायरा भरकर मायरे की परम्परा को एक बार फिर चर्चा में ला दिया, राजोद निवासी भाईयो ने सोनेली गांव पहुंचकर अपनी बहन के 71 लाख नकदी, 41 तोला सोना व 5 किलो चांदी के आभूषण का मायरा भरा तो मायरे की चर्चा सम्पूर्ण जिले सहित प्रदेश के हर कोने तक पहुच गयी. मारवाड़ के रीति रिवाज के अनुसार मामाओ द्वारा अपने भाणजे या भाणजी की शादी होने पर ननिहाल पक्ष की तरफ से मायरा भरा जाता है,

मामा सतीश और मुकेश गोदारा अपनी बहन तथा अपने भाणजे आकाश की शादी में मायरा भरने पहुंचे, मायरा भरा गया तो लोग हैरान रह गए. राजोद गांव के दो भाइयों ने इस मायरे में 71 लाख रुपए नकद, 41 तोला सोना और 5 किलो चांदी के आभूषण एव अपनी बहन संतोष को डॉलर लगे रुपयों की मामा चूनड़ी ओढाकर ऐतिहासिक मायरा भरा गया. ऐतिहासिक मायरा भरने वाले दोनों भाईयों में बड़ा भाई दिनेश गोदारा इराक में अमेरिकन एंबेसी में कार्यरत है. वहीं छोटा भाई मुकेश गोदारा भारतीय सेना में है. परिवार में दो भाई है और एक बहन संतोष है. इनके पिता स्व. हजारीराम गोदारा भी भारतीय सेना में थे, लेकिन 20 साल पहले उनका निधन हो गया वहीं मां गुलाबी देवी मायरे में मौजूद रही.

दोनों भाई की छोटी आयु में ही पिता के निधन के बाद बड़ी बहन ने मां के साथ मिलकर परिवार को हमेशा पिता के रूप में खुद को प्रस्तुत रखा. जब भाई योग्य हो गए और उन्हें फर्ज निभाने का मौका मिला तो दोनों ने दिल खोलकर मायरा भरकर बहन भाई के प्यार अमर करने का कार्य किया. नागौर जिले के "खिंयाला" गांव का मायरा-भाई द्वारा बहन के मायरा भरने के लिए दुनियाभर में नागौर जिले के जायल तहसील के खिंयाला गांव का मायरा प्रसिद्ध है.

इस गांव के मायरे को आज भी गीतों में गाया जाता है. नागौर जिले के "खिंयाला" गांव का मायरा-भाई द्वारा बहन के मायरा भरने के लिए दुनियाभर में नागौर जिले के जायल तहसील के खिंयाला गांव का मायरा प्रसिद्ध है. राजा-रजवाड़ों के समय जायल के गोपालजी बासट और खिंयाला के धर्मोजी बिडियासर ने राज की रकम से धर्म बहन लिछमा गुजरी के मायरा भर दिया था. तब से ही मायरे के गीतों में गाया जाता है कि "बीरा बणजे तु जायल रो जाट,बणजे खिंयाला रो चौधरी".

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