Ashok Gehlot Birthday: राजस्थान की राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत राजनीति में इस कदर माहिर हैं कि बड़े-बड़े धुरंधर भी उन्हें सियासी समीकरणों में मात नहीं दे पाते हैं. कहते हैं कि पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान राजनीति में एंट्री करने वाले अशोक गहलोत ने एक बार जब सियासी गलियारों में कदम रखा तो फिर उसके बाद कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. कहते हैं कि पिता लक्ष्मण सिंह के साथ राजनीति में एंट्री से पहले ही वह जादूगरी दिखाया करते थे. जादू आने के चलते अशोक गहलोत को गिलीबिली भी कहा जाता है.
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में से एक और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज यानी कि बुधवार को 72 साल के हो गए हैं. इनका जन्म 3 मई 1951 को लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर में हुआ था. अशोक गहलोत ने साइंस और लो में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की, वहीं मास्टर्स अर्थशास्त्र से पूरा किया.
अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन करते समय ही अशोक गहलोत कांग्रेस की छात्र इकाई से जुड़कर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन का हिस्सा बन गए थे. उस समय विश्वविद्यालय चुनाव में गहलोत हार गए थे.
साल 1921 में अशोक गहलोत को सातवीं लोकसभा के लिए चुना गया. अशोक गहलोत ने 1984, 1991, 1996 और 1998 में चुनाव जीतकर जोधपुर सीट पर अपना दबदबा कायम रखा. अशोक गहलोत देश के तीन प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुके हैं. सबसे पहले उन्होंने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में पर्यटन और नागरिक उड्डयन उप मंत्री का पदभार संभाला. इसके बाद बाद राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा के मंत्रिमंडल में भी केंद्रीय मंत्री की भूमिका निभाई.
अशोक गहलोत तीन बार राजस्थान के सीएम रह चुके हैं. 1 दिसंबर 1998 को पहली बार उन्होंने राजस्थान में मुख्यमंत्री का पदभार संभाला. दूसरी बार साल 2008 में और फिर दिसंबर 2018 को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाल कर कार्य वाहन किया.
अशोक गहलोत के परिवार के बारे में कहते हैं कि उनकी पत्नी सुनीता गहलोत ग्रहणी है अशोक गहलोत के बाद उनके परिवार में केवल उनके बेटे वैभव गहलोत ही राजनीति में एक्टिव है इस समय वैभव गहलोत राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं अशोक गहलोत की बहू और वैभव गहलोत की पत्नी हिमांशी गहलोत एक सोशल एक्टिविस्ट है एनजीओ भी चलाती हैं
कहते हैं कि राजनीति में अशोक गहलोत ने जो मुकाम हासिल किया है, वह शायद ही कोई नेता कर पाया हो. अशोक गहलोत अपने छात्र जीवन से ही महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित रहे हैं, इसके चलते और समाज सेवा में जुटे हुए थे.
जानकारी के मुताबिक, अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी के कहने पर राजनीति में एंट्री की थी और फिर उसके बाद कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
जानकारी के मुताबिक, एक समय ऐसा भी था जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जोधपुर के सरदारशहर से विधानसभा का टिकट दिया गया था हालांकि वह अपना पहला चुनाव हार गए थे.
सियासी गलियारों की खबरों में कहा जाता है कि विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए अशोक गहलोत ने अपनी मोटरसाइकिल तक बेच दी थी. अशोक गहलोत के राजनीतिक दांव-पेच कई बार बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ पंडितों को भी हैरान कर देते हैं.
राजस्थान में दो बार राजनीतिक संकट आने के बावजूद अशोक गहलोत टय से मस नहीं हुए. राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले हाल ही में महंगाई राहत कैंप लगवाकर एक बार फिर से जनता के दिलों में घर बना लिया है.
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