Rajasthan Politics : राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि आज लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसे पकड़ कर वो चलना सीखते हैं.
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Jaipur : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि आज लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसे पकड़ कर वो चलना सीखते हैं. राजे ने उदयपुर में सुंदर सिंह भंडारी ट्रस्ट की व्याख्यान माला में यह बात कही. दूसरी ओर सियासी गलियारों में इसे विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी की अनदेखी से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पीड़ा से जोड़कर देखा जा रहा है.
उदयपुर में सुंदर सिंह भंडारी चेरीटेबल ट्रस्ट की ओर से आज व्याख्यान माला एवं विशिष्ट जन सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे बतौर मुख्य वक्ता शामिल हुईं. कार्यक्रम के मुख्यअतिथि असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और विशिष्ट अतिथि मंत्री बाबू लाल खराड़ी थे.
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव दीवनानी, राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत और पूर्व विधायक ज्ञानचंद आहूजा सहित कई लोगों को विशिष्टता के लिए सम्मानित किया गया. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि सुंदर सिंह भंडारी और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का व्यक्तित्व किसी भी शब्दकोष के दायरे से बहुत बड़ा है. साजिश के तहत हमारी विचारधारा का अंत करने के लिए डॉ. मुखर्जी की हत्या की गई, लेकिन उनके लहू से सिंचित यह विचारधारा आज दुनिया में सबसे बड़ी और अमर है.
आज लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं- राजे
मंच से सम्बोधन के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि भंडारी जी ने राजस्थान में भैरों सिंह जी सहित कितने ही नेताओं को आगे बढ़ाया, पर वफा का वह दौर अलग था. तब लोग किसी के किए हुए को मानते थे, लेकिन आज तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़ कर वह चलना सीखते हैं.
राजे के इस बयान के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया. राजे के इस बयान को वर्तमान में प्रदेश भाजपा में उनकी स्थिति को देखकर पीड़ा के तौर पर बताया जा रहा है. राजे राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रही है. पिछले विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने जबरदस्त प्रचार किया, यहां तक कि सबसे ज्यादा जनसभाएं और दौरे किए. यह बात दूसरी है कि बहुमत मिलने के बाद पार्टी अलाकमान ने राजे को सीएम नहीं बनाकर भजनलाल शर्मा के नाम की पर्ची खोल दी. इसके बाद लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राजे को स्टार प्रचारक बनाया, लेकिन उन्होंने प्रदेश में झालावाड़ सीट के अलावा कहीं भी प्रचार नहीं किया.
सियासी जानकारों का कहना है कि वसुंधरा राजे को पार्टी अलाकमान ने तो अनदेखा किया ही, वहीं प्रदेश में भी जिनको राजे ने आगे बढ़ाया, उनमें कई लोगों ने पाला बदल लिया. संभवतया यही कारण है कि सुंदरसिंह भंडारी का हवाला देते हुए अपनी पीड़ा को इस तरह बयां किया.
मैं पार्टी की छोटी सी कार्यकर्ता- राजे
हालांकि पूर्व वसुंधरा राजे ने कहा भंडारी हमेशा संगठन सर्वोपरि के सिद्धांत की पैरवी करते थे. मैं भी संगठन की एक छोटी सी कार्यकर्ता हूँ. लोग इसे राजे के अपने बयान पर उपजने वाली सियासत को पनपने से रोकने के लिए कही गई बात मान रहे हैं.
राजे ने कहा कि सुंदर सिंह झूठ नहीं बोलते थे. आपातकाल में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पुलिस ने उनसे नाम पूछा. उन्होंने सच बता दिया और गिरफ्तार हो गए. राजे ने कहा कि डॉ.मुखर्जी ने धारा 370 के प्रावधानों का विरोध किया. जिसे नरेंद्र मोदी की सरकार ने हटाया. भंडारी आजीवन संघ के लिए समर्पित रहे. ब्रिटिशकाल में भंडारी को कहा गया कि बिना रजिस्ट्रेशन शाखा नहीं चला सकते. जवाब था, जीना छोड़ सकता हूँ,पर शाखा लगाना नहीं.
मेरी मां ने देश में पहली बार जनसंघ की सरकार बनाई -राजे
पूर्व सीएम राजे ने कहा कि उनकी माँ राजमाता ने मध्यप्रदेश में 1967 में देश में पहली बार जनसंघ की सरकार बनाई और गोविंद नारायण सिंह को सीएम बनाया. तब भंडारी ने पत्र लिख कर ख़ुशी जताई थी. माँ ने बचपन से ही हमें संघ के संस्कार दिए. हमारे घर में तो कई बार संघ की शाखा लगती थी.अटल बिहारी,आडवाणी ,राजमाता साहब,भैरों सिंह शेखावत,सुंदर सिंह भंडारी,रज्जू भैया,केएस सुदर्शन, दत्तोपंत ठेंगड़ी और कुशाभाव ठाकरे जैसे देशभक्तों का मार्गदर्शन मिला.
भंडारी की मशाल को गुलाब कटारिया ने निरंतर जलाये रखा -राजे
राजे ने कहा कि विचारधारा की जो मशाल सुंदर सिंह भंडारी ने प्रज्लवित की, उसे भाई साहब गुलाबचंद कटारिया ने निरंतर जलाये रखा.उन्होंने कहा कि हम रहे न रहें अलग बात है,पर हमारी मूल विचारधारा जीवित और तीव्रगति के साथ अनवरत फलती-फूलती रहना चाहिए.