Rajasthan News : राजस्थान की ये सांसद कांग्रेस से टिकट मिलने से पहले सारकारी नौकरी करना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने चुनाव जीतकर सचिन पायलट का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
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Sanjana Jatav : देश में लोकसभा चुनाव 2024 संपन्न होने के बाद, नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है. इसी बीच राजस्थान की नई सांसद संजना जाटव काफी चर्चा में हैं. संजना ने मात्र 26 साल की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की है. वह भरतपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी की प्रतिनिधि के रूप में चुनी गई हैं. पुलिस कॉन्स्टेबल की पत्नी संजना का सपना सिर्फ एक सरकारी नौकरी पाने का था, लेकिन अचानक वह सांसद कैसे बनीं और उन्होंने राजस्थान के सबसे युवा सांसद रहे सचिन पायलट का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. आइए जानते हैं, इस रिपोर्ट में...
सादगी से जीता लोगों का दिल
संजना का जन्म 1998 में भरतपुर जिले के वैर विधानसभा क्षेत्र के भुसावल गांव में हुआ था. वह दलित समाज से आती हैं, जहां बेटियों को अधिक पढ़ाई करने की अनुमति नहीं होती है. चुनाव प्रचार के दौरान संजना की बातें और उनकी सादगी ने लोगों का दिल जीत लिया और उन्होंने भरपूर समर्थन दिया. इसके परिणामस्वरूप, संजना जाटव 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बन गई हैं और कांग्रेस नेता सचिन पायलट का सबसे कम उम्र में सांसद बनने का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
409 वोटों से हुई थी हार
लोकसभा चुनाव से पहले संजना ने विधानसभा चुनाव भी लड़ा था. कांग्रेस ने उन्हें कठूमर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह मात्र 409 वोटों के मामूली अंतर से चुनाव हार गईं. हालांकि, संजना ने हार नहीं मानी और कुछ समय बाद ही लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें फिर से टिकट मिल गया. इस बार उनके सामने भाजपा के रामस्वरूप कोहली को उम्मीदवार बनाया गया, जिन्हें हराकर संजना जाटव ने इतिहास रच दिया.
पुलिस कांस्टेबल से हुई थी शादी
संजना ने 12वीं कक्षा पास करने के बाद 2016 में भरतपुर के पास अलवर जिले में शादी की. उनके पति कप्तान सिंह उस समय राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे. संजना का कहना है कि उनका कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था. उनके पिता ट्रैक्टर चलाते हैं और मायके में कोई भी राजनीति से जुड़ा नहीं था. लेकिन ससुराल आने पर उन्हें पता चला कि उनके ताऊ ससुर सरपंच हैं. संजना ने पहली बार अलवर जिला परिषद की सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा.
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और प्रियंका गांधी के "लड़की हूं, लड़ सकती हूं" जैसे अभियानों से जुड़ने के बाद संजना लगातार राजनीति में सक्रिय रहीं और अपनी मेहनत और लगन से सफलता की मिसाल कायम की.