प्रतापगढ़ को एनीमिया रोग से मुक्त करने का महाभियान शुरू हो गया. कलेक्टर सौरभ स्वामी के अभिनव प्रयास में एनीमिया मुक्त प्रतापगढ़ बनाने की सार्थक पहल की गई है.
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Pratapgarh: प्रतापगढ़ को एनीमिया रोग से मुक्त करने का महाभियान शुरू हो गया है. जिला प्रशासन ने अपने नवाचार कार्यक्रम के तहत इसकी शुरूआत की हैं. यह एनीमिया मुक्त राजस्थान अभियान का एक विस्तृत रूप हैं.जिसमें चिकित्सा, शिक्षा और महिला बाल विकास विभाग को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है. योजना को अलग-अलग तीन चरणों में विस्तार से पूरा किया जाएगा. जिसमें खून की कमी की समस्या से जूझने वाले बच्चे, गर्भवती व धात्री महिलाएं, जन्मजात बीमारियों से पीडि़त बच्चों का निशुल्क उपचार, स्वास्थ्य शिक्षाए दिव्यांग बच्चों की पहचान और सार्टिफिकेट जारी करने का काम प्रमुख रूप से होगा.
कलेक्टर सौरभ स्वामी का अभिनव प्रयास
कलेक्टर सौरभ स्वामी के अभिनव प्रयास में एनीमिया मुक्त प्रतापगढ़ बनाने की सार्थक पहल की गई है. उन्होंने बताया कि प्रतापगढ़ जिले की बड़ी आबादी कुपोषण और एनीमिया की बीमारी की जद से बाहर नहीं निकल पा रही है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से शुरू किया गया एनीमिया मुक्त राजस्थान अभियान के बैनर तले इसमें बीमार बच्चों और जन्मजात बीमारियों के साथ जूझने वाले वालों का पूरा इलाज किया जाएगा. वर्तमान में मंगलवार को शक्ति दिवस के रूप में बनाया जा रहा है. ऐसे में इस कार्यक्रम में एक मुहिम चलाकर एनीमिया मुक्त प्रतापगढ़ अभियान को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. जिसमें सबसे पहले स्कूल और आंगनवाड़ी के साथ ही गांव-गांव, एनीमिया, कुपोषण और जन्मजात बीमारी से पीडि़त बच्चों और गर्भवती माताओं की स्क्रीनिंग कर उनकी पहचान की जाएगी. इसके बाद जो डेटा मिलेगा, मेडिकल एक्पर्ट की राय के अनुसार उपचार, दवाईयां और काउंसलिंग की जाएगी. तीसरे चरण में स्क्रीनिंग डेटा, रिकवर हुए लोगों का विश्लेषण किया जाएगा और इसके रिजल्ट की जांच की जाएगी.
तीन चरण में यह कार्य होंगे
पहले चरण में 6 माह से लेकर 19 साल तक के विद्यालय जाने वाले व नहीं जाने वाले सभी बालक.बालिकाओं के हीमोग्लोबिन की जांच की जाएगी. सभी बालक-बालिकाओं की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में उल्लेखित बीमारियों की जांच कर पात्रों की खोज की जाएगी. विद्यालयों में निरीक्षण के दौरान खाने, पानी और साफ -सफाई की गुणवत्ता की भी जांच की जाएगी. सभी विद्यालयों में पोषण वाटिका की मौजूदगी का भी निरीक्षण होगा. इसी क्रम में 19 से 24 साल की सभी महिलाओं विशेषकर गर्भवती व धात्री महिलाओं की हीमोग्लोबिन की जांच संबंधित आंगनबाड़ी केंद्रों एवं संबंधित स्वास्थ्य केंद्रों पर की जाएगी.
द्वितीय चरण में स्क्रीनिंग के दौरान आए डेटा की जांच की जाएगी. इसके बाद सभी पात्र पाए गए बच्चों, बच्चियों एवं महिलाओं का एनिमिया का उपचार किया जाएगा, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में पात्र छात्र-छात्राओं का चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत उपचारित किया जाएगा, विशेष योग्यजन श्रेणी में पात्रों को दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी कराए जाएंगे.
तीसरे चरण में एक बार पुन: सभी बच्चों, बच्चियों एवं महिलाओं की स्क्रीनिंग की जाएगी और किए जा रहें उपचार के प्रभाव का निरीक्षण किया जाएगा.
इन मुख्य स्वास्थ्य मुद्दों पर होगा काम
एनीमिया और कुपोषण से जूझने वालों को मिलेगी उपचार की संजीवनी
जटिल सर्जरी के लायक बच्चों को ढूंढकर चलेगा इलाज
दिव्यांग बच्चों का सर्टिफिकेट के नहीं लगाने होंगे चक्कर
स्वास्थ्य और शिक्षा के पोषण वाटिका की जानकारी
चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की जानकारी और पंजीकरण
Reporter - Vivek Upadhyay
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