गहलोत ने आज मतदान के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये लड़ाई कोई उम्मीदवार को लेकर नहीं होती है, ये लड़ाई विचारधारा की भी है. तमाम विपक्ष की पार्टियों ने यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है.
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Jaipur: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बड़ा बयान सामने आया है. गहलोत ने आज मतदान के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये लड़ाई कोई उम्मीदवार को लेकर नहीं होती है, ये लड़ाई विचारधारा की भी है. तमाम विपक्ष की पार्टियों ने यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है. मैंने पहले भी कहा अगर एनडीए गवर्नमेंट और भारतीय जनता पार्टी चाहती तो उनके सामने एक ऐसा मौका आया था 5 साल के बाद में कि वो विपक्ष को इन्वॉल्व करती.
बातचीत करती और कोशिश करती कि राष्ट्रपति पद जैसे पद के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार सामने आए. पर जनरली ऐसा होता नहीं है. गहलोत ने कहा है कि जब कभी चुनाव होते हैं, राष्ट्रपति के हों या उपराष्ट्रपति के होते हैं, कोई भी हों, तो ये लोकतंत्र की खूबी है कि उत्सव के रूप में इसको मनाते भी हैं और भाग भी लेते हैं. तो आज ये मौका है जब पूरे मुल्क के अंदर हमारे देश के नए राष्ट्रपति के चुनाव होने जा रहे हैं, जो उत्साह आपको यहां नजर आ रहा है वो ही पूरे मुल्क के अंदर है, यही हमारी खूबी है.
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पहले ही दी शुभकामनाएं
मैं समझता हूं कि नए राष्ट्रपति जल्द ही मिलने वाले हैं देश को मेरी बहुत पहले एडवांस में ही बहुत ही बधाई एवं शुभकामनाएं रहेंगी. एक बार को छोड़कर हमेशा, 15 बार लगातार चुनाव में, एक बार को छोड़कर हमेशा कोई न कोई सामने आए हैं. तो ज्यादा इसको बहस करने का विषय नहीं होना चाहिये. मैंने कहा कि विचारधारा के आधार पर है और उसी रूप में हमें इसको, उसी स्पिरिट में लेना चाहिए.
और क्या बोले सीएम गहलोत
उपराष्ट्रपति की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को बनाने के सवाल पर कहा जो बातें मैंने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए कही हैं, वो ही बातें लागू हो रही हैं. उपराष्ट्रपति पद के लिए भी, पर राजस्थान से वो उम्मीदवार बने हैं, जैसे एक बार भैरोंसिंह शेखावत साहब बने थे तो नेचुरल है कि जिस राज्य का बनता है उम्मीदवार तो उस राज्य में वेलकम तो होता ही है तो उस रूप में ही लेना चाहिए.
एक राज्य का उम्मीदवार बना है, तो यहां के लोगों में भावना हो सकती है. पर जो वोटिंग होगा, उसका पैटर्न तो वो ही रहेगा जो विचारधारा की लड़ाई है. जो मैंने कहा आपको राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए, वो ही बात लागू रहेगी. पहली बार आजादी के बाद में लोकसभा और राज्यसभा, दोनों के जो अध्यक्ष हैं या चेयरमैन हैं वो दोनों राजस्थान से हैं, ये आप कह सकते हो, ये सुखद संयोग है.
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