आदिवासी बाहुल्य जिले प्रतापगढ़ में लगातार बढ़ रहे हादसे अब प्रशासन और पुलिस के लिए सिरदर्द बनते जा रहे है. जिले भर में हर रोज एक हादसे में मौत की खबर सुनने को मिलती है.
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Pratapgarh: आदिवासी बाहुल्य जिले प्रतापगढ़ में लगातार बढ़ रहे हादसे अब प्रशासन और पुलिस के लिए सिरदर्द बनते जा रहे है. जिले भर में हर रोज एक हादसे में मौत की खबर सुनने को मिलती है. ऐसे में हादसे की जगह लोगों की भीड़ और प्रदर्शन के कारण पुलिस और प्रशासन को लॉयन ऑर्डर मेंटेन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
लगातार हादसे और हादसे के बाद आर्थिक सहायता के लिए लोगों का प्रदर्शन आए दिन देखने को मिल जाता है. जबकि सरकार की ओर से सड़क दुर्घटना में मरने वाले लोगों के लिए चिरंजीवी योजना के तहत पांच लाख रुपये तक के बीमे का लाभ सरकार की ओर से दिया जा रहा है. आदिवासी बाहुल्य जिले में लगभग 85 फीसदी लोग ऐसे है जो चिरंजीवी योजना में आने के बाद भी जानकारी के आभाव में सडकों पर प्रदर्शन करते है और इस प्रदर्शन के कारण पुलिस प्रशासन और आमजन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
कई बार घंटों लगे जाम के कारण लोगों के आवश्यक कार्य बाधित होते है तो कई बार इमरजंसी में जाने वाले बीमार व्यक्ति को भी मौत और जिंदगी से दो-दो हाथ करने पड़ते है. सरकार की चिरंजीवी योजना की जानकारी के आभाव में लोग हादसे के बाद आर्थिक मदद के लिए सड़क को पर जाम कर देते है और प्रदर्शन करते है लेकिन सरकार की यह योजना बिना किसी प्रदर्शन के भी लोगों को आर्थिक सहायता दे रही है. मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में बीमित परिवारों को दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु अथवा पूर्ण स्थायी अपंगता की स्थिति में आर्थिक संबल प्रदान करने को लेकर मुख्यमंत्री चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना शुरू की गई है.
बीमित परिवार के सदस्य की दुर्घटना होने पर मृत्यु या स्थायी क्षति होने पर परिवार को नियमानुसार 5 लाख की राशि का भुगतान किया जाएगा. कलेक्टर सौरभ स्वामी ने बताया कि योजना में उन्हीं परिवारों को लाभ दिया जा रहा है जो मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना में बीमित है. मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में बीमित परिवारों का संबंध जन आधार कार्ड में अंकित परिवार से है.
साथ ही मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में उस परिवार का एक साल की आयु तक का वह शिशु भी शामिल है जिसका नाम, पहचान पत्र जन आधार कार्ड में जुड़ा हुआ नहीं है. परिवार का वह बालक भी बीमित सदस्य माना जाएगा जिसका नाम जनाधार कार्ड में अंकित नहीं है. बीमित परिवार के सदस्य की दुर्घटना होने पर मृत्यु या स्थायी क्षति होने पर परिवार का नियमानुसार 5 लाख की राशि का भुगतान किया जाएगा. जिले में हो रहा हर तीसरा हादसा जानलेवा है. जिले में हर रोज नए सड़कों का जाल बिछ रहा है लेकिन इस बीच सड़कों पर होने वाले हादसे के आंकड़ों ने सुरक्षा की चिंताएं बढ़ा दी है.
जिला पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021-22 में केवल सड़क दुर्घटना की वजह से 175 लोगों की मौत हो गई. जबकि 198 लोग घायल हो गए. उससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि इन हादसों में सबसे ज्यादा मरने वालों की उम्र 25-35 साल की है. यानी हादसे का सबसे ज्यादा युवा शिकार हो रहे है. रिपोर्ट के अनुसार जिले में हर तीसरा हादसा इतना भयावह होता है कि उसमें किसी न किसी की जान चली जाती है. जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की जान गई है. इन खतरनाक हादसों में रिपोर्ट के अनुसार चिंता की बात यह है कि हादसों में कमी तो आई है लेकिन प्रति हादसे में मरने वाले व्यक्तियों की संख्या में इजाफा हुआ है. यानी हादसे कहीं ज्यादा भयावह हो रहे है.
उदाहरण के तौर पर साल 2022 में अबतक 131 हादसे हुए है. जो कि 2021 की तुलना में कम है. रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा सड़क हादसों का शिकार 25-35 साल की उम्र के लोग हो रहे है. इसकी एक वजह ओवर स्पीडिंग भी दिखती है. क्योंकि कुल मौतों में 69 फीसदी मौत की वजह ओवर स्पीडिंग है. इसके बाद गलत साइड से गाड़ी चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, मोबाइल इस्तेमाल और रेड लाइट जंप करने से मौते हो रही है. हादसे कैसे भी हो लेकिन आदिवासी बाहुल्य जिले को जो फायदा मिल रहा है वह बेहतर स्वास्थ्य के लिए हो या सड़क दुर्घटन बीमें के लिए वह उन्हें आर्थिक संभल पंहुचा सकता है इसके लिए किसी भी प्रकार के प्रदर्शन और जाम को कर के कानून व्यवस्था बिगाड़ कर गुनहगार बनने की कोई आवश्यकता नहीं है.
Reporter: Vivek Upadhyay
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