Rajasthan : DJ की धुन पर 30 बैल गाड़ियों में निकला प्रेमी बाई का मायरा, लोग बोले- वाह!
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Rajasthan : DJ की धुन पर 30 बैल गाड़ियों में निकला प्रेमी बाई का मायरा, लोग बोले- वाह!

Rajsamand Unique Mayara : 30 बैल गाड़ियों में लेकर गए बहन के मायरा, सकरावास के चार भाइयों का परिवार लेकर गया मायरा, राजसमंद के रेलमगरा क्षेत्र के चौकड़ी गांव का है वाकया,

Rajasthan : DJ की धुन पर 30 बैल गाड़ियों में निकला प्रेमी बाई का मायरा, लोग बोले- वाह!

Rajsamand Unique Mayara : राजसमंद जिले में स्थित रेलमगरा उपखंड क्षेत्र में बैल गाड़ियों को सजाकर चार भाइयों और उनका परिवार बहन के घर घुंघरू बांधे और सजे धजे बेल रास्ते से गुजरे तो लोग ठहर गए. बेल गाड़ी में बैठी महिलाएं मंगल गीत गा रही थी. बता दें कि मौका था बहन के घर मायरा ले जाने का. करीब 5 किलोमीटर के रास्ते को डीजे की धुनों पर नाचते गाते तय किया गया.

मायरा भरने बेल गाड़ियों में आए

दरअसल रेलमगरा उपखंड क्षेत्र के चौकड़ी गांव में गाडरी परिवार के बेटी की शादी थी. नाथूलाल गाडरी के ससुराल सकरावास से भूरालाल गाडरी के सुपुत्र शंकरलाल गाडरी, शंभूलाल गाडरी सहित परिवार और रिश्तेदारों के साथ अपनी बहन प्रेमी बाई के मायरा भरने के लिए चौकड़ी आए थे. इसमें खास बात यह रही कि मायरा भरने आए बाराती कार, बस में ना आकर बेल गाड़ियों में आए. बहन के घर मौजूद नाते रिश्तेदार और पड़ोसी बैलगाड़ी में आए मेहमानों को देखने के लिए होड़ लग गई. सभी की जुबान पर बस एक ही बात थी कि पुराना जमाना याद दिला दिया.

बता दें कि चार भाइयों और उनका परिवार के साथ रिश्तेदार भी बेल गाड़ियों से चौकड़ी पहुंचे. बैलों को भी अच्छे से सजा रखा था. घुंघरू बांधे बेल चलते तो छन छन आवाज आती. बेल गाड़ी में बैठी महिलाएं मंगल गीत गा रही थी. रास्ते में भी लोग सजी बैलगाड़ी और उस पर भी बन ठन के बैठे ग्रामीणों को देखकर आश्चर्यचकित हो गए. मायरा जिस भी रास्ते से गुजरा ग्रामीणों ने फोटो लेना शुरू कर दिया. इस मारे को अनूठा बनाने के लिए भाइयों ने पूरे परिवार को बेल गाड़ियों पर ले जाने की ठानी. जिसके चलते 30 बेल गाड़ियों को सजा कर लगाया गया और उनके घुंघरू बांधे गए.

गाड़ियों में कर देते हैं फिजूलखर्ची 

मायरे में शामिल ग्रामीण चौकड़ी पहुंचे तो बुजुर्गों ने भी गाडरी परिवार की वाहवाही की बुजुर्गों का कहना था कि इन्हीं प्रयासों से पुरानी परंपराएं आज भी जिंदा है. इस दौरान घर के बुजुर्गों ने कहा कि पुराने जमाने में बैलगाड़ी पर ही लोग एक जगह से दूसरी जगह जाते थे 40 साल पहले के रीति रिवाज याद आ गए. आज के जमाने में बैलगाड़ी पर मायरा लेकर आना ऐसा सोच भी नहीं था. भाइयों ने बताया कि आज के समय में लोग अपनी परंपराओं को भूल चुके हैं. फिजूलखर्ची करते हुए लोग गाड़ियों में काफी रुपया खर्च कर देते हैं. पूरे परिवार ने बैलगाड़ी में 5 किलोमीटर का रास्ता तय कर बहन के घर पहुंचे चौकड़ी पहुंचने पर बहन प्रेमी बाई के द्वारा अपने भाइयों और रिश्तेदारों की खूब आवभगत की.

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