बौंली: अज्ञात बीमारी के चलते 5 भैंसों की मौत, पशुपालकों का रो-रो कर हुआ बुरा हाल
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बौंली: अज्ञात बीमारी के चलते 5 भैंसों की मौत, पशुपालकों का रो-रो कर हुआ बुरा हाल

सवाईमाधोपुर की बामनवास विधानसभा के बौंली में इन दिनों दूधिया पशुओं पर लंपी वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. 

लंपी वायरस से ग्रसित गाय का उपचार करते पशुपालक

Sawai-madhopur: जिले की बामनवास विधानसभा के बौंली में इन दिनों दूधिया पशुओं पर लंपी वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. उपखंड क्षेत्र बौंली के थडोली, बोरदा व पीपल्दा में गौवंश में लंपी वायरस के लक्षण देखे गए हैं. पूर्व पंचायत समिति सदस्य शंकरलाल ने बताया कि हनुतिया हनुमत पुरा गांव में विगत 3 दिनों में 5 भैंस अज्ञात बीमारी के चलते दम तोड़ चुकी हैं. मीणा के मुताबिक रामजीलाल, हरीराम, प्रेमराज, रामखिलाड़ी व छुट्टनलाल की भैंस अज्ञात बीमारी के चलते काल का ग्रास बन चुकी है. ग्रामीण महिला वीरबाई मीणा व बाबूलाल मीणा ने बताया कि भैंसों में पहले बुखार आता है और फिर गलघोटू जैसी बीमारी के चलते पशुओं की मौत हो जाती है.

ग्रामीणों ने बताया कि पशु चिकित्सा विभाग द्वारा मामले में उचित कार्यवाही नहीं की जा रही है, मसलन निजी चिकित्सकों द्वारा पशुओं का वैक्सीनेशन करवाया जा रहा है. वहीं जानकारी के अभाव में मृत पशुओं को खुले वन क्षेत्र में छोड़ा जा रहा हैं, जिससे संक्रमण का खतरा भी बना हुआ है. पशुधन सहायक लड्डू लाल सैनी ने बताया कि पशु चिकित्सा अधिकारी अरुणलाल खंडेलवाल के नेतृत्व में पशु एपिडेमिक को लेकर लगातार ग्राउंड सर्वे किया जा रहा है. अब तक तीन गायों में लंपी वायरस के लक्षण देखे गए हैं, जिनका उपचार जारी है. वहीं बतौर एहतियात परिक्षेत्र में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव भी करवा दिया गया है साथ ही विभाग द्वारा ग्रामीणों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं.

हनुतिया हनुमत पुरा गांव में पांच भैंसों की मौत होने के बाद पशुपालकों का रो रो कर बुरा हाल है. कांग्रेस नेता शंकरलाल ने स्थानीय विधायक से मामले में संज्ञान लेकर पशु चिकित्सा विभाग द्वारा आवश्यक मॉनिटरिंग करने व चिकित्सा व्यवस्था मुहैया करवाने की अपील की है. पशु चिकित्सा विभाग द्वारा पशुओं में अज्ञात बीमारी के लक्षण की सूचना त्वरित रूप से देने व संबंधित पशु को आइसोलेट करने सहित आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं. लंपी वायरस को लेकर स्थानीय लोगों में कई भ्रांतियां बनी हुई है और ग्रामीणों ने गौवंश के दूध से परहेज तक करना शुरू कर दिया है. हालांकि विभागीय सूत्रों की माने तो पशुओं का दूध निर्धारित मानकों की अनुसार उचित तापमान पर उबाला जाता है, ऐसे में दूध से संक्रमण फैलने की संभावना बेहद कम है.

Reporter- Arvind Singh

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