निशानेबाजी में जयंत चौधरी ने सीकर का फहराया परचम,पिता से मिली इस खेल की सलाह
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निशानेबाजी में जयंत चौधरी ने सीकर का फहराया परचम,पिता से मिली इस खेल की सलाह

Sikar news: शेखावाटी लाडलीया भी अब निशानेबाजी जैसे खेल में सफलता का परचम फहरा रही है. सीकर के रहने वाली जयंती चौधरी ने हाल ही में 67 निशानेबाजी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर सीकर जिले का नाम रोशन किया है.

Jayanti Choudhary

Sikar news: शेखावाटी लाडलीया भी अब निशानेबाजी जैसे खेल में सफलता का परचम फहरा रही है. सीकर की रहने वाली जयंती चौधरी ने हाल ही में 67 निशानेबाजी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर सीकर जिले का नाम रोशन किया है. भोपाल में आयोजित 67 में शूटिंग स्कूल गेम्स में जयंती चौधरी ने गोल्ड मेडल पर निशाना लगाया. 10 मीटर पिस्टल वर्ग में जयंती ने यह खिताब जीता है.

निशानेबाजीके खेल की शुरुआत 
सीकर की जयंती चौधरी ने महज 2 साल पहले ही निशानेबाजीके खेल की शुरुआत की. 10 मीटर एयर पिस्टल में निशाना लगाने वाली जयंती ने पहले जिला और प्रदेश स्तर पर गोल्ड मेडल जीता और अब 67 में शूटिंग स्कूल गेम्स में भोपाल में 17 से 19 आयु वर्ग में स्वर्ण पर निशाना लगाया. इतना ही नहीं अपनी निशानेबाजी के दम पर वह भारतीय टीम के लिए होने वाली ट्रायल के लिए भी सेलेक्ट हो चुकी है इसके साथ-साथ उसे भारत के विख्यात निशानेबाज का खिताब भी मिल चुका है.

पिता सुरेंद चौधरी ने दी सलाह 
 यानी कि वह अब भारतीय टीम के लिए चयनित होने वाले खिलाड़ियों में शामिल है और उसका चयन कभी भी हो सकता है. सीकर से सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली जयंती चौधरी बताती है कि 2 साल पहले उनके पिता सुरेंद चौधरी ने उन्हें निशानेबाजी जैसे खेल में कदम रखने की सलाह दी और महज 2 साल की मेहनत में ही वह राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीत चुकी है.

शूंटिंग रेंज के नाम से बच्चों
जयंती चौधरी के कोच और सीकर में शेखावटी शूंटिंग रेंज के नाम से बच्चों को ट्रेनिंग देने वाले दीपेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि जयंती काफी मेहनती और शांत स्वभाव की है यही उसे अन्य शूटर से अलग करता है. उन्होंने कहा कि जयंती ने राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड जीता है और अभी उसका लक्ष्य ओलंपिक तक पहुंचना है. 

दीपेंद्र सिंह का कहना है कि शेखावाटी जैसे ग्रामीण अंचल में पहले इस तरह की सुविधा नहीं थी. इस वजह से इस खेल में यहां के बच्चे नहीं जाते थे लेकिन अब जब से यहां इस तरह की ट्रेनिंग मिलने लगी है.काफी बच्चे इस खेल में जा रहे हैं. उन्हे उम्मीद है की जयंती एक दिन ओलंपिक में पदक जरूर जीतेगी .

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