Amarnath Cloudburst: श्रीगंगानगर से 22 लोगों का जत्था गया था अमरनाथ, जलप्रलय में 2 की मौत, एक लापता, हादसे में अबतक 16 की मौत
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Amarnath Cloudburst: श्रीगंगानगर से 22 लोगों का जत्था गया था अमरनाथ, जलप्रलय में 2 की मौत, एक लापता, हादसे में अबतक 16 की मौत

Amarnath Yatra 2022 : श्रीगंगानगर के कई लोग अभी भी अमरनाथ में  लापता है. इधर जिला कलेक्टर रूक्मणि रियार अनंतनाग के कलेक्टर से संपर्क में हैं और लगातार फीडबैक लिया जा रहा है. 

 

Amarnath Cloudburst: श्रीगंगानगर से 22 लोगों का जत्था गया था अमरनाथ, जलप्रलय में 2 की मौत, एक लापता, हादसे में अबतक 16 की मौत

Amarnath Yatra 2022 : अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार शाम को बादल फटने से आई अचानक बाढ़ के चलते कई लोग बह गए और  16  लोगों की मौत हो गयी. इधर राजस्थान के श्रीगंगानगर से अमरनाथ यात्रा के लिए गये 22 लोगों के जत्थे के बारे में बड़ी अपडेट मिली है.

जानकारी के मुताबिक 22 श्रद्धालुओं में से 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गयी है वही एक लापता बताया जा रहा है. श्रीगंगानगर में पुलिस विभाग नें सीआई सुशील खत्री और उनकी बेटी की सास की मौत की खबर है. हादसे के बारे में जानकारी अमरनाथ गुफा में फंसे श्रंद्धालु नवनीत बटेजा की तरफ से दी गयी है. वही कुछ यात्री बालटा में सुरक्षित स्थान पर पहुंच चुके हैं.

श्रीगंगानगर के कई लोग अभी भी अमरनाथ में  लापता है. इधर जिला कलेक्टर रूक्मणि रियार अनंतनाग के कलेक्टर से संपर्क में हैं और लगातार फीडबैक लिया जा रहा है. इलाके में हैलीकाप्टर से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. बादल फटने से जानकारी के मुताबिक करीब 40 लोग लापता हैं और पांच को बचाया गया है. इसके अलावा 48 लोग जख्‍मी हैं. पुलिस और एनडीआरएफ अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में कई टेंट और सामुदायिक रसोईघर नष्ट हो चुके हैं.

हादसे के बाद से लगातार राहत और बचाव का कम चलता रहा. वहीं स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, कश्मीर ने कर्मचारियों की सभी छुट्टियां रद्द कर दी थी और उन्हें तुरंत ड्यूटी पर रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया था. साथ ही सभी अधिकारियों को अपने मोबाइल स्विच ऑन ही रखने के निर्देश दिए गए हैं.

जम्मू कश्मीर प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि इस त्रासदी की वजह से अमरनाथ यात्रा निलंबित है और उसे बहाल का फैसला बचाव अभियान पूरा हो जाने के बाद होगा. अमरनाथ यात्रा तीन जून को शुरू हुई थी. एनडीआरएफ के निदेशक जनरल अतुल करवार ने को बताया कि NDRF की एक टीम पहले से ही प्रभावित क्षेत्र में है और बरारी मार्ग और पंचतरणी से एक-एक और टीम पहुंच गयी है. फिलहाल 75 बचावकर्मी बचाव में लगे हैं.

बादल फटने से हादसा
भारी बारिश के बीच शाम साढ़े पांच बजे बादल फटा और पहाड़ की ढलानों से पानी और गाद की मोटी धारा घाटी की तरफ बहने लगी. गुफा के आटोमैटिक वेदर स्टेशन के मुताबिक साढ़े चार से साढ़े छह बजे तक 31 मिलीमीटर बारिश हुई. जम्मू कश्मीर मौसम विज्ञान विभाग के निदेशक सोनम लोटस ने कहा क‍ि ये पवित्र गुफा के ऊपर बहुत ही सीमित बादल था. इस साल पहले ऐसी बार‍िश हुई थी. लेकिन अचानक बाढ़ आ जाएगी ये किसी ने नहीं सोचा था.

पवित्र गुफा के बाहर बेस कैंप में अचानक पानी आने से कई टेंट और तीन सामुदायिक रसोईघर नष्ट हो गए. जहां तीर्थयात्रियों को भोजन दिया जाता है. अधिकारियों ने कहा कि घायलों की सहायता के लिए सोनमार्ग और अन्य स्थानों पर अस्थायी अस्पताल बनाए गए हैं. उनके मुताबिक दक्षिण कश्मीर के अंनतनाग, श्रीनगन और दिलली में हेल्पलाइन बने हैं, ताकि प्रभावित परिवारों की मदद की जा सके.  जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बचाव अभियान के लिए बेहतर हल्के हेलीकॉप्टर लगाए हैं.

एनडीआरएफ के निदेशक जनरल अतुल करवार ने बताया कि इस हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई और पुलिस, सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मी बचाव के काम में जुटे हैं.  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी समेत राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी दुख जताया और  शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की. 

हादसे के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि बचाव और राहत अभियान जारी है. प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता दी जा रही है वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय बलों और जम्मू कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने से प्रभावित लोगों को बचाने का कार्य तेजी से हो. शाह ने ट्वीट कर कहा कि उन्होंने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा से बात कर के स्थिति का जायजा लिया है.

इस दर्दनाक हादसे के बावजूद भोले के भक्तों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है. जम्मू के भगवती नगर इलाके से श्रद्धालुओं का नया जत्था कड़ी सुरक्षा के बीच पहलगाम और बालटाल के लिए रवाना हो चुका है. इधर जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप से सुबह करीब 4 बजे रवाना हुए जत्थे में बस, कार और बाइकों का काफिला शामिल था. सभी गाड़ियों को स्पेशल डबल स्टिकर भी लगाए गए थे. साथ ही यात्रियों को हाथ में बांधे जाने वाले RFID कार्ड भी दिए गए थे. उनकी सुरक्षा के लिए काफिले के आगे-पीछे और बीच में सुरक्षाबलों के जवान अपने हथियारों के साथ सरकारी गाड़ियों में चलते दिखे. 

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