टोंक न्यूज: टोंक से राजस्थान के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है. 40 क्विंटल समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद के जारी कर दिए गए हैं.राज्यसरकार ने केंद्र सरकार को इस विषय में चिट्ठी लिखी थी.
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Tonk: राजस्थान के टोंक में पिछले कई दिनों से राष्ट्रीय किसान महापंचायत के बैनर तले सरसों जिंस की 25 क्विंटल की जगह 40 क्विंटल की समर्थन मूल्य पर खरीद को लेकर गांव बंद कर आंदोलन कर रहे किसानों की पीड़ा पर जी राजस्थान न्यूज की खबर का दमदार असर हुआ है. लगातार खबर प्रसारित करने के बाद आखिरकार राज्य सरकार की लिखी भारत सरकार को चिट्ठी के बाद बीते दिन 40 क्विंटल सरसों की खरीद के आदेश जारी हो गए. जिससे टोंक सहित प्रदेश के किसानों में जबरदस्त उत्साह नजर आया रहा है. किसानों ने जी राजस्थान सहित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का धन्यवाद दिया है.
सरसों की खरीद की मात्रा एक दिन में एक किसान से 25 से बढ़ाकर 40 क्विंटल करने पर किसान महापंचायत के प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर जाट ने किसानों की ओर से प्रसन्नता व्यक्त करते हुए केंद्र के कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर एवं राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने इस कदम को किसानों के संघर्ष की एक और जीत बताया है. इसके परिणाम स्वरूप सरसों एक दिन में एक किसान से 25 से 40 क्विंटल तुलेगी. जो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने में सहायक रहेगी.
इस संशोधन के लिए किसान महापंचायत की ओर से निरंतर 3 वर्षों से अनुनय-विनय किया जा रहा है. इस वर्ष चने की खरीद की मात्रा पहले ही 25 से 40 क्विंटल कर दी गई थी किंतु सरसों के संबंध में इसे छोड़ दिया गया था . जबकि सरसों उत्पादन में राजस्थान देश में प्रथम स्थान पर है जहां देश के कुल उत्पादन में से आधी सरसों का उत्पादन होता है. फिर पिछले वर्ष की तुलना में तो इस वर्ष सरसों के दाम एक क्विंटल पर 3000 रुपये कम हो गए .
कृषि मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान की
न्यूनतम समर्थन मूल्य 5450 रुपये प्रति क्विंटल होते हुए भी बाजार में किसानों को अपनी सरसों 4600रुपये तक बेचनी पड़ रही है. इसके लिए राजस्थान सरकार की ओर से भारत सरकार को पत्र प्रेषित कर निवेदन किया गया और भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी.
सरसों के कुल उत्पादन में से 75% सरसों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की परिधि से बाहर धकेला हुआ है . दाने - दाने की खरीद के लिए इस अवरोध को हटवाए जाने के लिए भी देश के किसानों की और से किसान महापंचायत निरंतर संघर्ष कर रहें. गेहूं तथा धान की भांति सरसों- चना जैसी तिलहन एवं दलहन के उत्पादों की खरीद देश को तिलहन एवं दलहन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अपरिहार्य है.
इससे केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर बनाने की घोषणा पूर्ण हो सकेगी. यह आदेश तो कुल उत्पादन में से 25 प्रतिशत तक की खरीद के संबंध में दिया गया है. जिसमें अभी तक एक किसान से एक दिन में अधिकतम 25 क्विंटल सरसों चना खरीदने का अवरोध लगाया हुआ था.
किसानों ने सरसों सत्याग्रह जयपुर से आरम्भ किया
ज्ञात रहे कि फसलों के दामों के सम्बन्ध में किसानों ने सरसों सत्याग्रह जयपुर से आरम्भ किया और उसी क्रम में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, दिल्ली एवं राजस्थान के किसानों ने दिल्ली संसद पर 6 अप्रैल को जंतर-मंतर पर 101 किसानों ने अनशन किया था. इसके पूर्व 24 -28 फरवरी तक पांच मार्गों से पांच दिनों तक पैदल कूच किया.जिसका संगम जयपुर के शहिद स्मारक किया . इसी के अनुसरण में टोक डोडवाडी, खोड़ा का खेड़ा एवं नवाबपुरा के किसानों द्वारा धरना-प्रदर्शन आयोजित कर पांच दिनों तक मंडियों में अपनी उपजों को नहीं ले जाने का प्रस्ताव पारित किया.
किसानों ने खुशी व्यक्त की इस दौरान लोकसभा प्रभारी भरतराज मीना,पीपलु अध्यक्ष गोपीलाल जाट, टोंक अध्यक्ष सीताराम मीना, निवाई अध्यक्ष मोहनलाल जाट, राधेश्याम गोहरपुरा, माधोलाल कीर बनेठा, राजेश गुर्जर गोहरपुरा, छीतर डारडा हिन्द, रामलाल जाट, सुखलाल, रामफुल, सीताराम, मोहनलाल माली, भंवरलाल परासिया एवं अन्य मौजूद रहे.
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