Tonk: बैलों से खींचकर निकाली जाती है घास भैरू की सवारी, गांव में नहीं आती कोई बीमारी
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Tonk: बैलों से खींचकर निकाली जाती है घास भैरू की सवारी, गांव में नहीं आती कोई बीमारी

टोंक जिले के ग्राम पंचायत घास में आज भी परंपरागत रूप से बैलों के जरिए घास भैरू को खींचकर सवारी निकाली जाती है.  

Tonk: बैलों से खींचकर निकाली जाती है घास भैरू की सवारी, गांव में नहीं आती कोई बीमारी

Tonk: भले ही त्योहारों पर होने वाली परंपराओं ने मॉडर्न रूप ले लिया हो और हर साल भाई दूज के दिन निकलने वाली घास भैरू की सवारी को ट्रैक्टर आदि से खींचा जाता है, लेकिन टोंक जिले के ग्राम पंचायत घास में आज भी परंपरागत रूप से बैलों के जरिए घास भैरू को खींचकर सवारी निकाली जाती है.  

इसको देखने का रोमांच शायद कोई छोड़ना नहीं चाहता यही कारण है कि इस परंपरा को देखने के लिए घास गांव में हर साल मेले का आयोजन होता है और इस मेले में टोंक जिला समेत आसपास के कई जिलों से लोग आते हैं और इस परंपरा को देखकर अभिभूत होते हैं. आज इस रोमांच को देखने जिला प्रमुख सरोज बंसल भी पहुंची और इस रोमांच का अनुभव किया. 

दरअसल हर साल दीपावली के तीसरे दिन यानि भाई दूज के दिन घांस गांव में परंपरा अनुसार बैलों के जरिए सवारी निकाली जाती है. आज भी इस परंपरा का निर्वाहन हुआ, जिसमें 11 बैलों की जोड़ी यानी 22 बैलों ने घास भैरू की सवारी को पूरे गांव में भ्रमण करवाया गया. गांववालों का मानना है कि इस भ्रमण का उद्देश्य यह है कि गांव में किसी भूत-प्रेत की भाषा को भैरू बाबा इस परिक्रमा के दौरान मिटा देते हैं. 

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यही कारण है कि हर साल इस परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है. साथ ही दूर-दराज के गांवों से महिला, पुरुष और बच्चें यहां आकर मेले का लुत्फ उठाते हैं और खास तौर पर यहा बैलों से सवारी खींचे जाने की यह परंपरा यहां के ग्रामीणों ने जीवित रखी हुई है और यहां से निकलकर सफल लोग भी इन दिन गांव आते हैं. 

Reporter- Purshottam Joshi

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