न्यूनतम समर्थन मूल्य से जिंस की नीलामी शुरू करवाने को लेकर 5 वे दिन भी मंडी नहीं पहुंचे किसान
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न्यूनतम समर्थन मूल्य से जिंस की नीलामी शुरू करवाने को लेकर 5 वे दिन भी मंडी नहीं पहुंचे किसान

टोंक न्यूज: न्यूतम समर्थन मूल्य से जिंस की नीलामी शुरू करवाने को लेकर 5 वे दिन भी मंडी किसान नहीं पहुंचे. महिला किसानों ने भी धरना-प्रदर्शन में भाग लिया.

 

न्यूनतम समर्थन मूल्य से जिंस की नीलामी शुरू करवाने को लेकर 5 वे दिन भी मंडी नहीं पहुंचे किसान

Tonk: टोंक जिले में पिछले पांच दिनों से किसानों का अनूठा विरोध प्रदर्शन जारी है. एमएसपी से कम दर पर कृषि मंडियों में व्यापारियों द्वारा जिंसों की खरीद करने के विरोध में पीपलु के डोडवाडी पंचायत मुख्यालय पर डोडवाडी के किसानों ने पांचवें दिन भी धरना जारी रखा. महिला किसानों ने भी धरना-प्रदर्शन में भाग लिया.

गोपीलाल जाट सहित कई किसानों और महिलाओं आदि ने बताया कि हम रात दिन मेहनत करते हुए अपनी हाथों में दाथली से मेहनत कर आपदाओं,पशुओं रात्रि कालीन खेतों को पानी देकर रिस्क के साथ खेती-बाड़ी का कार्य कर रहें हैं. उसके उपरांत भी हमें सरकार द्वारा तय दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है.महिलाओं ने भी धरना-प्रदर्शन में बढ़-चढ़ भाग लिया.

5 दिनों में भी नहीं पहुंचा कोई भी अधिकारी

17 अप्रैल से पंचायत मुख्यालय गांव डोडवाडी के किसानों ने गांव में उत्पादन होने वाली जिंसों को नहीं बचने का निर्णय लिया. परन्तु 5 वे दिन तक भी कोई भी अधिकारी-कर्मचारी किसानों तक भी नहीं पहुंचे.

जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछेंगे किसान

जब भी कोई जनप्रतिनिधी गांव में वोट लेने एवं समारोह में शामिल होने जायेंगे तों किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर सवाल जवाब करेंगे. क्योंकि जन प्रतिनिधियों द्वारा विदेशी खाद्य तेलों पर शून्य टैक्स क्यों किया गया? जबकि खाद्य तेलों का राजस्थान एवं अन्य राज्य उत्पादन करतें हैं. पूर्व में भी विदेशी खाद्य तेलों पर 80-45 प्रतिशत तक टैक्स लगाया जा रहा है.

पाम ऑयल आयातित तेल को टैक्स फ्री करने से भारत देश के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. रामेश्वर प्रसाद चौधरी युवा प्रदेशाध्यक्ष किसान महापंचायत ने कहा कि जल्द ही किसानों के लिए टोंक में जनजागरण अभियान शुरू होगा क्योंकि जनप्रतिनिधियों द्वारा भी किसानों के पक्ष में सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य को गारंटी कानून देने के लिए पत्राचार भी नहीं किया जा रहा है. गांव - गांव में किसानों को जनप्रतिनिधियों को घेरने के लिए टीमों का गठन भी किया जायेगा.

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