Chittorgarh News: गर्मी के चलते Bhainsrorgarh Wildlife Sanctuary में पानी की कमी
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Chittorgarh News: गर्मी के चलते Bhainsrorgarh Wildlife Sanctuary में पानी की कमी

गर्मी के मौसम में दोपहर की चिलचिलाती धूप से धरती तपने लगी है. तापमान में बढ़ोत्तरी से भैंसरोडगढ़ वन्यज़ीव अभ्यारण क्षेत्र में वाटर हॉल में पानी समाप्त होने लगा है. 

गर्मी के मौसम में दोपहर की चिलचिलाती धूप से धरती तपने लगी है.

Chittorgarh: कोरोना काल में लागू जन अनुशासन पखवाड़े (Public discipline fortnight) के बीच एकाएक गर्मी के मौसम में बढ़ते तापमान बढ़ने लगा है. इंसानों के साथ वन्यज़ीवों के पानी की किल्लत देखने को मिल रही है. 

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ऐसे में चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में भैंसरोडगढ़ वन्य ज़ीव अभ्यारण क्षेत्र (Bhainsrorgarh Wildlife Sanctuary) में विचरण करने वाले वन्य ज़ीवों के कंठ भी सूखने लगे हैं, जिसके चलते वन विभाग के कर्मचारी पानी का इंतजाम कर वन्यज़ीवों की प्यास बुझाने में जुटे हैं.

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गर्मी के मौसम में दोपहर की चिलचिलाती धूप से धरती तपने लगी है. तापमान में बढ़ोत्तरी से भैंसरोडगढ़ वन्यज़ीव अभ्यारण क्षेत्र में वाटर हॉल में पानी समाप्त होने लगा है. अभ्यारण क्षेत्र में 24 अलग-अलग स्थानों पर वाटर हॉल स्थित है. इनमें 12 वाटर हॉल में अभी भी प्राकतिक रूप से पानी विद्यमान है. जबकि 12 वाटर हॉल में पानी सूखने लगा है, जिससे अभ्यारण क्षेत्र में वन्य ज़ीवों के प्यास से कंठ  सूखने लगे हैं. 

ऐसे में वन्य ज़ीवों को मजबूरन पानी की तलाश में जंगल से बाहर इंसानों की बस्तियों की ओर रुख करना पड़ता है. इससे इंसानों और वन्यज़ीवों के आमने सामने होने की संभावना बनी रहती है. ये स्थिति इंसानों और वन्यज़ीवों दोनों की जान को खतरे में डालने वाली होती है. ऐसी स्थित को रोकने के लिए भैंसरोडगढ़ वन्य ज़ीव अभ्यारण क्षेत्र में वनकर्मी जंगल में ही जंगली जानवरों की प्यास बुझाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं.  

भैंसरोडगढ़ वन्यज़ीव अभ्यारण में करीब 40 प्रजाति के वन्यजीव रहते
राणा प्रताप सागर बांध से कोटड़ा बालाज़ी तक 193.03 वर्ग किलोमीटर के विस्तृत क्षेत्रफल के दायरे में फैले भैंसरोडगढ़ वन्यज़ीव अभ्यारण में करीब 40 प्रजाति के 3 हजार से ज्यादा वन्यज़ीवों निवास करते हैं. इनमें एक दर्जन पैंथर, भेड़िए, लोमड़ी, भालू, जरख, हिरण, नीलगाय, समेत कई प्रजातियों के दुर्लभ वन्य ज़ीव शामिल है. 

वन्यज़ीवविदों के अनुसार सामान्य दिनों में मांसाहारी वन्यज़ीव शिकार से, तो शाकाहारी ज़ीव वनस्पति आदि का सेवन करके पानी की आपूर्ति कर लेते है. जबकी ग्रीष्म ऋतु में तापमान बढ़ने से शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए वन्यज़ीवों को पानी की अधिक आवश्यकता रहती है, जिसके चलते दिन भर में कम से कम एक बार पानी चाहिए होता है. खासकर शाकाहारी वन्यज़ीवों को पानी की अधिक आवश्यकता होती है. ऐसे में 24 घंटे में एक बार पानी पीने वाटर हॉल पहुंचते हैं लेकिन बढ़ते तापमान में अभ्यारण क्षेत्र में स्थित वाटरहोल्स सूखने लगे हैं.

Reporter- Deepak Vyas

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