प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार आगामी बजट सत्र में पहली बार किसानों के लिए अलग से बजट पेश करेगी.
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Udaipur: प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार आगामी बजट सत्र में पहली बार किसानों के लिए अलग से बजट पेश करेगी. प्रदेश के पहले कृषि बजट (Agriculture Budget) को लेकर प्रशासन ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है. इसी को लेकर आज उदयपुर (Udaipur News) के राजस्थान कृषि महाविद्याल सभागार में बजट तैयारी को लेकर उदयपुर संभाग स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया.
बैठक में वर्चुअल माध्यम से जुड़े कृषि मंत्री
बैठक में वर्चुअल माध्यम से जुड़े प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया (Lalchand Kataria) ने कहा है कि गत वर्षों में राजस्थान में गत वर्षों में कृषि और पशुपालन क्षेत्र में युवा कृषकों ने अपने नवाचारों के माध्यम से कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ किया है. ऐसे में मुख्यमंत्री की मंशा है कि हमारा राज्य कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में मजबूती के साथ उभरे और इसी मंशा से मुख्यमंत्री ने आगामी बजट सत्र से राज्य में पहली बार कृषि बजट अलग से प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है. यह बजट किसानों के उत्थान के लिए मिल का पत्थर साबित होगा.
उन्होंने कहा कि कृषि से संबंधित विभिन्न विभागों, काश्तकारों, जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों आदि से रूबरू होकर सुझाव लिए जा रहे हैं. इन सुझावों के आधार पर आगामी बजट में कृषक हितकारी बजट प्रस्तुत किया जाएगा ताकि अधिकाधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके.
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चर्चा बैठक में कृषि विभाग (Agriculture Department) के प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार, रजिस्ट्रार मुक्तानंद अग्रवाल, संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट, एमपीयूएटी के कुलपति एनएस राठौड़, कृषि विपणन निदेशक सोहनलाल शर्मा और अतिरिक्त संभागीय आयुक्त एलएन मंत्री मंचासीन थे.
प्रमुख शासन सचिव दिनेश कुमार ने कहा कि राजस्थान (Rajasthan) में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhanmantri Fasal Bima Yojana ) देश में नंबर वन है. राज्य सरकार ने कृषि संबधित आधारभूत सुविधाओं के लिए वित्तीय प्रावधानों को बढ़ाया है और अब किसानों को और अधिक राहत देने के लिए पृथक् से कृषि बजट को प्रस्तुत किया जा रहा है.
संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट (Rajendra Bhatt) ने कहा कि जनजाति अंचल की भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए कृषकों के लिए हितकारी बजट तैयार किया जाए. इस मंशा से राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार के संवाद को आयोजित किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा कि संभाग के सभी जिलों के काश्तकारों और कृषि, पशुपालन, कृषि विपणन, राजस्थान वेयर हाउस कार्पोरेशन, सहकारिता, ग्रामीण विकास, ऊर्जा, जल संसाधन, कृषि विश्वविद्यालय आदि कृषि से सम्बद्ध सभी विभागों के प्रतिनिधियों से प्राप्त सुझावों को राज्य सरकार को भेजा जाएगा जिससे बजट तैयार हो सके.
बैठक में इन्होंने लिया भाग
चर्चा बैठक में संभाग के सभी जिलों से प्रगतिशील कृषक, प्रगतिशील पशुपालक, कृषि प्रसंस्करण सहित कृषि उद्यमों के प्रमुख प्रतिनिधि, सिंचाई जल प्रबन्धन इकाइयों के प्रतिनिधि, प्रगतिशील मत्स्य पालक, कृषक उत्पादन संगठनों (एफपीओ) के प्रतिनिधि, सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और कृषि , पशुपालन और डेयरी तंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए.
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बैठक में आए यह सुझाव आए
बैठक में उदयपुर के कृषकों ने पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए उन्नत नस्ल के पशु उपलब्ध कराने, कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने, ऋण प्रक्रिया को सरल बनाने, पशुओं के लिए चारा-पानी-दवाई की सुविधाएं, बीमा सुविधा देने के साथ तहसील स्तर पर बायोगैस प्लांट बनाने का सुझाव दिया.
इसी प्रकार पॉली हाउस टारगेट बढ़ाने, कृषि यंत्रों पर अनुदान जल्द उपलब्ध कराने, तारबंदी एकल कृषकों को उपलब्ध कराने, बीज मिनीकिट की संख्या बढ़ाने, टीएसपी के सामान्य कृषकों को भी अनुदान उपलब्ध कराने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लेम्प्स स्तर पर करवाने, झाड़ोल में उद्यानिकी और सफेद मूसली की खेती को बढ़ावा देने, कूट्टी काटने की मशीन और कल्टीवेटर पर छूट देने, सब्जी बीज दर निर्धारित करने, जिप्सम उपलब्ध कराने, पंचायत समिति स्तर पर मंडियों की स्थापना करने, पाइप लाइन पर सब्सिडी बढ़ाने, उदयपुर में पशु आहार सयंत्र स्थापित करने, दुग्ध अनुदान 2 रुपये से 5 रुपये करने, कामधेनु योजना में जिले में लाभार्थियों की संख्या 1 के स्थान पर 100 करने, कृषि और वन मंडी बनाने, मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित करने, अपनी मंडी योजना पुनः शुरू करने, पशुपालकों को केसीसी देने, वर्मी बेड और फव्वारा अनुदान कम जमीन पर उपलब्ध कराने, पशुओं के लिए तहसील स्तर पर मोबाईल एंबुलेंस उपलब्ध कराने, गुलाब की खेती को प्रोत्साहित करने, जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण लेब स्थापित करने के सुझाव दिए.
इसी प्रकार वागड़ अंचल के कृषकों ने माही नहर के सुदृढ़ीकरण करवाने, पहाड़ियों पर एनीकट बनाने, परंपरागत अनाज जैसे माल, कुरी, बटी, कोदरा के उत्पादन को प्रोत्साहित करने, बांसवाड़ा में कृषि महाविद्यालय खोलने, जायद मूंग की फसल को प्रोत्साहित करने, रबी मक्का के मिनिकिट वितरण प्रारंभ करने, बांसवाड़ा में सीड टेस्टिंग लेब और कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने, कुशलगढ़ क्षेत्र में माही के पानी को पहुंचाने, नॉन कमांड क्षेत्र में कुओं में ब्लास्टिंग करवाने, पॉली हाउस के लिए एग्रोनॉमिस्ट लगाने, पशु आहार गुणवत्ता संयत्र स्थापित करवाने, डेयरी के माध्यम से हरे चारे के मिनीकिट देने, कृषि विज्ञान केन्द्रों और डूंगरपुर के कृषि महाविद्यालय को सुदृढ़ बनाने, डूंगरपुर में हल्दी और अदरक की खेती को प्रोत्साहित करने जैसे कई सुझाव दिए गए.