Dungarpur की मंडी की बदल जाएगी तस्वीर, 3 करोड़ 55 लाख रुपए की मिली स्वीकृति
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Dungarpur की मंडी की बदल जाएगी तस्वीर, 3 करोड़ 55 लाख रुपए की मिली स्वीकृति

डूंगरपुर की कृषि उपज मंडी परिसर के विकास के लिए 3 करोड़ 55 लाख रुपए की स्वीकृति मिली है.

फाइल फोटो

Dungarpur: जिला मुख्यालय स्थिति कृषि उपज मंडी से एक अच्छी खबर सामने आ रही है. कृषि मार्केटिंग बॉर्ड से डूंगरपुर की कृषि उपज मंडी परिसर के विकास (Development) के लिए 3 करोड़ 55 लाख रुपए की स्वीकृति मिली है. ऐसे में साल 1980 से बदहाल पड़ी मंडी के दिन फिरेंगे और कृषि आधारित व्यापार को पंख लगेंगे. 

डूंगरपुर में 41 सालों से बदहाल पड़ी मंडी की बदहाली के चलते पूरा परिसर खंडहर में तब्दील हो गया था. प्रशासन के सहयोग से पिछले एक साल से परिसर में मंडी का संचालन शुरू हुआ है. ऐसे में बुनियादी सुविधाओं जैसे किसानों के विश्राम गृह, निलामी चबूतरा, सड़क, चारदीवारी, रोशनी की कमी थी. इसके चलते कृषि विपणन बोर्ड (Agricultural Marketing Board) को प्रस्ताव भेजकर 3 करोड़ 55 लाख रुपए की स्वीकृति हासिल की है. 
ऐसे में अब यहां की आबोहवा कृषि व्यापार (Agricultural trade) के लिहाज से संसाधनों और सुविधाओं के विस्तार के चलते सुधरेगी. जिसका काम शुरू हो चुका है. आगामी दीपावली (Diwali) तक कृषि उपज मंडी अपने नए खुशहाल चेहरे के साथ और भी बेहतरी से शुरू हो सकेगी.

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कृषि विपणन बोर्ड के संयुक्त निदेशक ने क्या बताया
कृषि विपणन बोर्ड के संयुक्त निदेशक संजीव पंड्या (Sanjeev Pandya) ने बताया की स्वीकृत बजट (Budget) से मंडी परिसर में कार्यालय भवन का जीर्णोद्धार (Renovation), चारों ओर बाउंड्रीबाल निर्माण, नीलामी चबूतरा विकास, आंतरिक सड़कों का निर्माण, टॉयलेट ब्लॉक, कियोस्क, पेयजल, मुख्य द्वार, चेकपोस्ट का निर्माण, पी एंड एफ स्ट्रीट लाइट और कनेक्शन, पेयजल टंकी और सप्लाई लाइन, किसान विश्राम गृह का निर्माण करवाया जाएगा. 
उन्होंने आगे बताया कि अब तक अनाज व्यापारियों के लिए कृषि मंडी में कोई स्थान नहीं था. ऐसे में नई दुकानें बनाने और उनकी नीलामी भी जल्द होगी. ऐसे में किसानों को बाजार में अनाज बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और एक ही परिसर में उनके लिए खेती (Farming) से जुड़े उत्पादों के लिए नया बाजार नए कलेवर में मुहैया हो सकेगा.

कृषि विपणन बोर्ड के इस बजट आवंटन से जहां डूंगरपुर कृषि उपज मंडी की दशा सुधरेगी. वहीं, जनजाति क्षेत्र के किसानों को व्यापार के लिए बेहतर दरों और माहौल हासिल होगा. साथ ही क्षेत्र में व्यापारिक फसलों की ओर किसानों की मानसिकता भी बदलेगी.

Report- Akhilesh Sharma

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