गणेश चतुर्थी के लिए बनी Eco Friendly मूर्तियां, बंदियों को भी दिया गया प्रशिक्षण
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गणेश चतुर्थी के लिए बनी Eco Friendly मूर्तियां, बंदियों को भी दिया गया प्रशिक्षण

संस्थान की श्वेता व्यास डाबी का कहना है कि लोगों को ईको फ्रेंडली अभियान के तहत पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए उनकी टीम मिट्टी से गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Pratapgarh: पर्यावरण को बचाने की इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता है और इसी काम में शहर की सृजन सेवा संस्था जुटी हुई है. संस्था पिछले कई सालों से पर्यावरण को बचाने के लिए तरह-तरह के अनूठे प्रयास कर रही है.  इसी क्रम में सृजन संस्था की ओर से मिट्टी के गणेश बनाने का काम भी पिछले 4 सालों से किया जा रहा है. मिट्टी के गणेश बनाकर लोगों को घरों में मिट्टी की गणेश प्रतिमा विराजित करने के लिए समझाया जा रहा है.

इन मिट्टी के गणेश में एक देखने का बीज भी रखा जाता है ताकि 10 दिन के गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi 2021) के बाद जब घर के गमलों में ही मिट्टी के गणेश का विसर्जन किया जाए तो वह एक पौधे का रूप ले ले. संस्था की ओर से स्कूली बच्चों, पीओपी की मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकार और जेल के बंदियों को भी मिट्टी के गणेश बनाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

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शहर के हाउसिंग बोर्ड स्थित सृजन सेवा संस्थान ने जगह-जगह प्रशिक्षण देकर लोगों को मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बनाना सिखाया है. संस्थान से प्रेरणा लेकर शहर के कई लोगों ने इस बार घरों में स्थापना के लिए मिट्टी के गणेश खरीदे हैं. संस्थान ईको फ्रेंडली (Eco Friendly) प्रतिमाएं बनाकर इन्हें लागत मूल्य पर लोगों को उपलब्ध करवा रहा है. गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले सृजन सेवा संस्थान ने शहर के बच्चों और हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में मिट्टी के गणेश की प्रतिमा बनाना सिखाया, जिसके बाद लोगों ने खुद गणेशजी बनाकर स्थापना का संकल्प लिया है.

संस्थान की श्वेता व्यास डाबी का कहना है कि लोगों को ईको फ्रेंडली अभियान के तहत पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए उनकी टीम मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं. टीम में सुधीर डाबी, महेंद्र भारद्वाज, प्रियल व्यास, माधुरी, शालिनी, वर्षा जोशी, हार्दिक वैष्णव, वर्शिता माली ने मिट्टी की प्रतिमाएं बनाकर लोगों को इसका निशुल्क प्रशिक्षण दिया है. ये प्रतिमाएं लागत मूल्य पर ही लोगों को दी जा रही है.

संस्थान ने मिट्टी की इस बार करीब 1 हजार प्रतिमाएं बनाई है. संस्था के सदस्यों ने लोगों को पीओपी की प्रतिमाओं के नुकसान बताने के साथ ही बच्चों और शहर के कई लोगों को मिट्टी की प्रतिमा बनाना भी सिखाया है. लोगों को पर्यावरण बचाने की सीख दी है. प्रतिमा की 10 दिन की आराधना के बाद घर पर गमले में ही विसर्जन कर इसमें पौधा लगाने की भी अपील की गई है.

संस्था की ओर से पिछले 4 सालों से आम जनता को और जेल के बंदियों सहित स्कूली बच्चों को भी यह प्रतिमा बनाना सिखाया जा रहा है. प्रतापगढ़ में बनाई जा रही इन प्रतिमाओं को उदयपुर, भीलवाड़ा सहित कई बड़े शहरों में भी भिजवाया जा रहा है. इस बात लायंस क्लब और तेजस्विनी क्लब की सदस्य भी संस्था के साथ जुड़कर इन प्रतिमाओं को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं. संस्था प्रतिमाएं बनाकर लागत मूल्यों में इन प्रतिमाओं को बेच लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक तो कर ही रही है. साथ ही इससे होने वाली इनकम के जरिए जरूरतमंद लोगों की मदद में भी जुटी हुई है.

एक और जिले में वन अधिकार पट्टा को पाने की चाह में जंगलों को काटा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सृजन सेवा संस्था की ओर से पर्यावरण को बढ़ावा देने और पानी को दूषित होने से बचाने के लिए मिट्टी के गणेश की प्रतिमाओं की मुहिम चलाकर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जा रहा है. संस्था की ओर से जेल में बंद कैदियों को भी प्रशिक्षण देकर उन्हें एक नई राह दिखाई जा रही है. पर्यावरण के प्रति चलाए जा रहे इस मुहिम से जुड़ने के बाद शहर में भी अब घरों में मिट्टी के गणेश प्रतिमाओं का इस्तेमाल होने लगा है.

Reporter-  Vivek Upadhyay 

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