Udaipur News:बांसवाड़ा-उदयपुर जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार की फोटोकॉपी सामने आई है,जहां फर्मों ने फर्जी बिल लगाकर करोडों के भुगतान उठाए.जल जीवन मिशन एमडी बचनेश कुमार अग्रवाल ने चैकिंग के दौरान ये पूरा मामला सामने आया.
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Udaipur News:बांसवाड़ा-उदयपुर जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार की फोटोकॉपी सामने आई है,जहां फर्मों ने फर्जी बिल लगाकर करोडों के भुगतान उठाए.जल जीवन मिशन एमडी बचनेश कुमार अग्रवाल ने चैकिंग के दौरान ये पूरा मामला सामने आया.अब पूरे मामले की जांच के लिए राज्य सरकार कमेटी का गठन करेगी.
बांसवाड़ा-उदयपुर में हुआ पूरा खेल
जल जीवन मिशन में फर्जीवाड़े की फोटोकॉपी.बांसवाड़ा-उदयपुर में हुआ पूरा खेल.अब इंजीनियर्स और फर्मों की बढ़ेगी मुश्किलें.राजस्थान के जल जीवन मिशन में हैरान करने वाला मामला सामने आया है.
ये मामला फर्जी बिलों से जुडा है,मैसर्स मनोज बागडी,मैसर्स B AND G कंस्ट्रक्शन और मैसर्स जगदीश प्रसाद फर्म ने फोटोकॉपी के बिल लगाकर करोडों के फर्जी भुगतान उठाए.नियमों के तहत बिलों की ओरिजिनल कॉपी या डुप्लीकेट कॉपी की जरूरी है,लेकिन मैसर्स मनोज बागडी और मै B AND G कंस्ट्रक्शन फर्म ने इंस्पेक्शन के दौरान फोटोकॉपी के बिल दिखाए.ऐसे में ये आशंका बनी हुई है कि फर्मों ने फर्जी भुगतान तो नहीं उठाया?
बिना दस्तावेज जांच कर दिया 90 प्रतिशत भुगतान
इसके अलावा मैसर्स मनोज बागडी और मैसर्स B AND G कंस्ट्रक्शन फर्म ने उदयपुर में बिना वर्क आर्डर नंबर अंकित किए 50 करोड के पाइप खरीद लिए.323 किलोमीटर के 100 एमएम के डीआई पाइप ये पूरा खेल हुआ.
कोटडा ब्लॉक और मावली सब डिवीजन की चेकिंग के दौरान ये पोल खुली.थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसी मैसर्स SGS फर्म की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे है.मैसर्स जगदीश प्रसाद अग्रवाल फर्म की भी कुछ इसी तरह की कहानी है.
पीएचईडी की जगह आरवी एंटरप्राइजेज को खरीददार बना दिया.वहीं टीपीआई WAPCOS ने जगदीश प्रसाद फर्म के भुगतान की सिफारिश कर दी.नियमों को ताक पर रखकर बिना दस्तावेज जांचे JPA फर्म का 90% भुगतान की सिफारिश की गई.
जब दस्तावेज नहीं जांचे तो 10 प्रतिशत भुगतान फिर क्यों रोका? पूरा मामला संदेश के घेरे में है.अब गहन जांच के लिए जेजेएम एमडी बचनेश कुमार टीमे गठित करेंगे.
ड्राइंग-डिजाइन के मुताबिक नहीं हुआ काम
इतना ही नहीं दोनों जिलों में ड्राइंग-डिजाइन के मुताबिक भी काम नहीं हुआ,जिस कारण कई जगहों पर काम बंद कर दिया है.ऐसे में अब देखना होगा कि कब जांच टीमे गठित होती है और कब जिम्मेदार इंजीनियर और फर्मों पर गाज गिरती है.
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