झील को भरने वाली नदियों और नालों पर पिछले कुछ वर्षों में एनीकट का निर्माण (Anicut Work) कर दिया गया है, जिसका असर झील में पानी की आवक पर पड़ा है.
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Udaipur: जिले की पहचान यहां के नीले पानी की झील (Blue water lake) हैं, जिनकी खूबसूरती को निहारने के लिए हर साल देश- विदेश से हजारों की संख्या में सैलानी यहां आते हैं. इन्हीं झीलों में से एक है जयसमंद झील (Jaisamand Lake), जो एशिया के दूसरी सबसे बड़ी मानव निर्मित मीठे पानी की झील है. यह उदयपुर शहर (Udaipur City) के साथ आस-पास के सैकड़ों गांवों की प्यास बुझाती है.
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उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर जयसमंद झील (Jaisamand Lake), जो सही मायने में उदयपुर के लेक सिटी (Udaipur lake City) के नाम को साकार करती है. इस झील की विशेषता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह एशिया की दूसरी सबसे बडी मानव निर्मित मीठे पानी की झील है.
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14650 एमसीएफटी पानी की भराव क्षमता वाली इस झील का निर्माण मेवाड़ के तत्कालीन महाराजा जयसिंह (Maharaja Jai Singh) ने वर्ष 1711 से 1730 के मध्य कराया था. झील का निर्माण दो पहाड़ियों के बीच आने वाले ढेबर दर्रे पर किया गया. इस लिए इसे ढेबर झील (Dhebar Lake) के नाम से भी जाना जाता है.
झील की कुल भराव क्षमता 8.36 मीटर
जयसमंद झील (Jaisamand Lake) के पाल की लम्बाई करीब 400 मीटर और चौडाई करीब 80 मीटर है. इसे खूबसूरत बनाने के लिए पाल पर आकर्षक छतरियां और हाथी बनाए गए हैं, जो यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. झील की कुल भराव क्षमता 8.36 मीटर है.
जयसमंद झील का पानी 124 गांवों में सिंचाई के काम आता
वर्तमान में झील का जल स्तर 5.20 मीटर भरा हुआ है. जयसमंद झील (Jaisamand Lake)का पानी 124 गांवों में सिंचाई के काम आता है, जो करीब 16 हजार हेक्टेयर एरिया को कवर करता है. साथ ही उदयपुर शहर (Udaipur City) सहित आस-पास के सैकड़ों गावों की प्यास भी जयसमंद झील (Jaisamand Lake) के पानी से ही बुझाई जाती है. झील में उदयपुर शहर के लिए 525 एमसीएफटी पानी को रिजर्व रखा जाता है.
एशिया की दूसरी सबसे बडी मानव निर्मित झील
एशिया की दूसरी सबसे बडी मानव निर्मित झील (Asia Second largest manmade lake) को भरने का कैचमेंट एरिया करीब 1818 स्क्वायर किलोमीटर तक फैला है. झील का फैलाव करीब 52.60 स्क्वॉयर किलोमीटर है. जयसमंद झील में 9 नदियों और 99 नालों से पानी की आवक होती है.
खूबसूरती के साथ उदयपुर शहर की प्यास को बुझाती है झील
एक बार लबालब होने के बाद इस झील के पानी से दो साल तक उदयपुर शहर की प्यास को बुझाया जा सकता है. साथ ही इस पानी को सिंचाई के लिए भी काम में लिया जा सकता है. ऐतिहासिक झील के पास ही हवा महल (Hawamahal) और रूठी रानी के महल (Ruthi Rani Palace) बने हुए हैं, जिन्हें देखने के लिए हर साल हजारों सैलानी यहां पर पहुंचते है.
एनिकट के निर्माण से झील में पानी की आवक पर पड़ा असर
जयसमंद झील में सात टापू बने हुए हैं, जहां मीणा और गमेती जाति के लोग निवास करते हैं, जिसमें सबसे बड़े टापू का नाम भांगड़ा और सबसे छोटे टापू का नाम प्यारी है. झील को भरने वाली नदियों और नालों पर पिछले कुछ वर्षों में एनीकट का निर्माण (Anicut Work) कर दिया गया है, जिसका असर झील में पानी की आवक पर पड़ा है. ऐसे में जरूरत है झील के कैचमेंट एरिया के संरक्षण किया जाए.
Reporter- Avinash Jagnawat